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*मित्रता कैसी करें भगवान श्रीकृष्ण सुदामा जी से सीखे – कथा
व्यास किशोरी वैष्णवी गर्ग*
कथा सुनना जब सफल है जब हम कथा में नहीं कथा हमारे अंदर बैठ जाए
सिद्ध चारों धाम मंदिर जमुनिया हजारी में कथा व्यास किशोरी वैष्णवी गर्ग जी के मुखारविंद से तिवारी परिवार द्वारा आयोजित कथा के 5 मई से 11 मई तक सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के विश्राम दिवस पर किशोरी जी ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए। किशोरी जी ने सातवें दिन कृष्ण के अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया गया। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मा देवकी को वापस देना सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास किशोरी वैष्णवी गर्ग जी ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं।उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र से सखा सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। कृष्ण सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया हुआ। उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। जब जब भी भक्तों पर विपदा आ पड़ी है। प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं। कथा व्यास किशोरी जी ने कहा कि जो भी भागवत कथा का श्रवण करता है उसका जीवन तर जाता है।
मुख्य यजमान= पंडित श्रीमती ममता बालमुकुंद तिवारी एवं समस्त तिवारी परिवार जमुनिया हजारी।।