भोपाल: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृव में प्रदेश में जल गंगा संवर्धन महाअभियान चलाया जा रहा है। 90 दिवसीय इस महाअभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन से की थी। अभियान भी काफी तेजी से अपनी सफलता की ओर है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत प्रदेश में 1 हजार अमृत सरोवरों के निर्माण का लक्ष्य रखा था। यह लक्ष्य केवल 41 दिनों में ही हासिल कर लिया गया है। प्रदेश में 1012 अमृत सरोवरों को बनाने का काम भी शुरू कर दिया गया है।
महाअभियान के अंतर्गत कूप रिचार्ज पिट, बावड़ी, खेत-तालाब, अमृत सरोवर, बोरी बंधान, चेकडैम सहित अन्य कार्य कराए जा रहे हैं। इसके साथ पुराने जल स्त्रोतों की सफाई, नदियों की जल धाराओं को जीवित के लिए गेबियन संरचना, कंटूर ट्रेंच जैसे जल संरक्षण संरचनाओं का कार्य किया जा रहा है।
*जल गंगा संवर्धन अभियान का मुख्य उद्देश्य*
जल गंगा संवर्धन अभियान का मुख्य उद्देश्य बारिश के पानी सहेजना और पुराने जल स्त्रोतों को संवारना है। प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे महाअभियान में प्रदेश में भू जल स्तर पर सुधार आएगा। कुओं, नलकूपों का जलस्तर बढ़ेगा। इसके साथ ही किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी भी उपलब्ध होगा।
*30 मार्च से 30 जून 2025 तक चलेगा अभियान*
प्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान तीन माह तक चलेगा। प्रदेश सरकार द्वारा 30 मार्च से प्रदेशव्यापी महाअभियान की शुरुआत की गई है, जो 30 जून 2025 तक संचालित किया जाएगा।
*अमृत सरोवरों से यह होगा फायदा*
प्रदेश में बड़ी संख्या में अमृत सरोवर बन जाने से प्रदेश का भू-जल स्तर बढ़ेगा। इससे जल संकट की समस्या से निजात मिलेगी। गर्मियों में कुओं, हैंडपंपों और ट्यूवबेलों का जलस्तर कम नहीं होगा। इसके साथ ही, ग्रामीण आजीविका के साधन भी बढ़ेंगे। सिंचाई के साथ मछली पालन और सिंघाड़े की खेती सहित अन्य गतिविधियों में सरोवरों का पानी इस्तेमाल किया जा सकेगा।
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