क्या कभी किसी ने भगवान को घर बुलाने की गाँठ लगायी है ?
कि हे प्रभु हम आप के दरबार में गाँठ लगा कर जा रहे है।
आप को शपथ देते है कि आप को हमारे घर आना ही होगा, हमारा चित्त आप के चरणों में लगाना ही होगा ,हमें आप से प्रेम हो जाये ऐसा जादू चलाना ही होगा…..
सच में हम सब आज दुर्योधन जैसे बन गए है ,कभी अर्जुन जैसे बनकर देखिये , प्रभु को अपने घर बुलाने की गाँठ लगा कर तो देखिये ,ईश्वर को हर कदम आप अपने साथ पाएंगे….,
भगवान कहते है की दुःख और सुख तो जीवन में धुप छाव की तरह है ,पर जो निरंतर मुझे भजता है जो मेरा ही स्मरण करता है ,उसे कभी दुःख , दुखी नहीं करता ,क्यों की दुःख में- “मैं मेरे भक्त को अपनी गोदी में बैठा लेता हुँ”l
पांडवो जैसा तो दुःख शायद किसी को नही पड़ा होगा,,पर भगवान श्री कृष्ण के साथ रहने के कारण उन्हें दुःख कभी दुखी नहीं कर पाया और ना ही कभी पीड़ा महसूस की ….बल्कि सब कुछ होते हुए भी दुखी तो कौरव रहे थे, ये हम सब जानते है।
भगवान हमारे कर्म को सुध करते है कर्म तो हमें ही करना पड़ेगा , बिना पसीने किये कही ऐशो आराम नहीं मिलते।