रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। शहर में बेशकीमती जमीनों पर रसूखदारों की नजर गढ़ी हुई है। मुख्यालय पर ही राजीव गांधी आश्रय योजना के पट्टों पर आज व्यावसायिक प्रतिष्ठान तन गए हैं और अधिकारी कागजों में सिर्फ हित साधते नजर आ रहे हैं। आश्चर्य का विषय है कि जवाबदार प्रशासनिक अधिकारियों के रहते कैसे राजीव गांधी आश्रय योजना के मुख्य स्थलों के पट्टे की बहुमूल्य जमीन पर व्यावसायिक प्रतिष्ठान बन गए पर भी बड़े सवाल खड़े होते हैं? इसका बड़ा उदाहरण मीनाक्षी चौक आईटीआई रोड एरिया है। अब एक नया मामला सामने आया है जहां पर नगर पालिका द्वारा शहर के मुख्य बाजार क्षेत्र इतवारा बाजार में नजूल भूमि की जगह जो जिला अस्पताल के अंदर सुलभ कांप्लेक्स के लिए जाने का रास्ता दिया गया था, उसे नगर पालिका ने कैसे सांठगांठ कर नीलाम कर दिया, को लेकर जिला प्रशासन में खासा बवाल मचा हुआ है ? पूरे विषय को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP)के आरटीआई विंग जिला अध्यक्ष सीताशरण पांडे ने कमिश्नर, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक सहित थाना कोतवाली में शिकायत कर नगर पालिका परिषद के पदेन अध्यक्ष एवं तत्कालीन सीएमओ पर सांठ गांठ के गंभीर आरोप के साथ शासकीय नजूल भूमि बेचे जाने पर वैधानिक कार्रवाई हेतु शिकायत कर कार्यवाही की मांग की है। वही मामले को लेकर सिटी मजिस्ट्रेट एवं नजूल अधिकारी बृजेंद्र रावत से जब इस विषय में बात की गई तो वह भी आश्चर्यचकित रह गए कि कैसे नजूल भूमि नगर पालिका ने बेच दी ? इस संबंध में नजूल के राजस्व निरीक्षक द्वारा भी अवगत कराया गया कि बेची गई भूमि नजूल की हैं। नजूल अधिकारी श्री रावत ने कहा कि वह इस मामले की जांच कराएंगे। शिकायतकर्ता सीताशरण पांडे ने अपनी शिकायत में बताया कि नगर पालिका परिषद नर्मदापुरम के तत्कालीन अध्यक्ष सहित पूर्व के सीएमओ द्वारा नर्मदापुरम शहर की नजूल सीट क्रमांक 43 के प्लॉट नंबर 3/1 में नगर पालिका परिषद द्वारा शिवाजी मार्केट की दुकान क्रमांक 40 , 41 के मध्य जो शासकीय भूमि नजूल है, जिला चिकित्सालय प्रांगण में बने सुलभ कॉम्पलेक्स सहित प्रांगण में जाने हेतु 30 गुणा 20 जो 600 वर्गफुट भूमि गेट वास्ते जनहित में छोड़ा गया था, जिसका उल्लेख शासकीय अभिलेख में भी दर्ज है। जिसे पूर्व अध्यक्ष सहित सीएमओ के अनुमोदन से बेचा गया है। जिसमें पूर्व परिषद के राजस्व सभापति रहे अजय रत्नानी के पत्र के माध्यम से उक्त भूमि को अनुपयोगी बताते हुए नगर पालिका राजस्व में वृद्धि के लिए नीलाम करने के लिए लिखा गया था। जिसके आधार पर यह पूरा नीलामी का खेल रचा गया। इस विषय को लेकर वार्ड 6 के पार्षद राजेंद्र उपाध्याय ने भी अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। उसके बावजूद यहां पर दुकान निर्माण हो गई। आश्चर्य का विषय है कि इतवारा बाजार क्षेत्र में जहां यह नजूल भूमि दुकान के लिए बेची गई है। वहां एक दुकान की कीमत 70 लाख से एक करोड़ रुपए के बीच दुकान की कीमत बाजार में बताई जा रही है और यहां पर दुकान 30 से ₹50 हज़ार रुपए महीने पर किराए पर जाती हैं। फिर इतनी बहुमूल्य जमीन को कैसे बेच दिया गया और नजूल विभाग के जवाबदार क्या करते रहे पर भी बड़े सवाल खड़े होते हैं ? यह बात भी चर्चा में है कि यदि शिकायतकर्ता सीताशरण पांडे शिकायत नहीं करते तो पूरा मामला सामने नहीं आता। अब देखना यह है कि नगर पालिका और नजूल उक्त शिकायत पर क्या कार्यवाही करते हैं..?