रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। पिछले कुछ समय से शासकीय विभागों सहित पंचायतो के बिना अनुमति राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर शुभकामना संदेश विज्ञापन लगाए जाने पर भुगतान को लेकर असहज माहौल निर्मित हो रहा है। जिसमें अब शुभकामना संदेश विज्ञापन के भुगतान को लेकर मानसिक रूप से परेशान करने सहित भुगतान के दबाव को लेकर परेशान होकर मुख्यालय के नजदीक की ग्राम पंचायत की सरपंच द्वारा लिखित शिकायत कमिश्नर से पिछले महीने की गई है। जिस पर जनपद पंचायत सीईओ द्वारा मामले की जांच की जा रही है। जिसमें चार पत्रकारों सहित सरपंच के बयान लिए गए हैं। जिसमें नया मोड आ गया है कि सरपंच पति द्वारा स्वीकार किया गया है जिसमें दो पत्रकारों के नाम भूलवश लिख दिए गए थे। शिकायत में चार पत्रकारों के साथ ही बिना नाम के अन्य अनेक पत्रकारों द्वारा पंचायत की बिना अनुमति के विज्ञापन छापे जाने और विज्ञापन के नाम पर पैसों की मांग किए जाने का आरोप लगाते हुए लिखी गई है। शिकायत को लेकर सरपंच पति ने बताया कि दो पत्रकारों के नाम भूलवश लिख गए थे जबकि एक पत्रकार द्वारा 10 हजार की मांग कर धमकी दी गई कि वह कलेक्टर को शिकायत करेगा। इटारसी के एक पत्रकार द्वारा फोन लगाकर दबाव बनाया जा रहा था। जबकि पंचायत में कोई बजट विज्ञापन से संबंधित नहीं है , कई लोगों द्वारा बिना अनुमति विज्ञापन छापकर बिल दे दिया गया है जिससे हम अत्यंत परेशान हैं। इस गंभीर विषय को लेकर जनपद पंचायत अध्यक्ष भूपेंद्र चौकसे ने बताया कि सीईओ साहब के समक्ष हमारे द्वारा दोनों ही पक्षों को बैठाकर समझाइस दी गई है। पंचायत में विज्ञापनों का अलग से कोई बजट नहीं है। बिना अनुमति शुभकामना संदेश विज्ञापन नहीं लगाना चाहिए। पंचायत में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी से संबंधित विषय भी आते हैं। जिस पर सरपंच सचिव आपत्ति दर्ज करते हैं। हमारे द्वारा कहा गया है कि अपने रिकार्ड संधारित करें सभी कार्य ऑनलाइन हो रहे हैं इसीलिए जानकारी देने में कोई दिक्कत नहीं है। सूचना का अधिकार अधिनियम है जानकारी दी जाना चाहिए। हमारे द्वारा आरटीआई से संबंधित शिविरों का भी आयोजन किया जा रहा है। आरटीआई में लिए गए दस्तावेजों के आधार पर खबरें भी प्रकाशित होना चाहिए। जिससे हम पंचायतो में और सुधार कार्य कर सकेंगे। फिलहाल पूरा मामला जांच में है।