रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम । प्रदेश में नर्मदापुरम जिले को कृषि प्रधान जिला माना जाता है। तवा डैम बनने के बाद से नर्मदापुरम और हरदा जिले के किसानों में उन्नति की लहर छाई हुई है। गेहूं सहित धान, मूंग आदि फसलों की पैदावार के लिए प्रदेश भर में जिले का नाम प्रमुखता से आता है। जिसके चलते नर्मदापुरम जिले के कृषि विभाग का दायित्व भी बढ़ जाता है कि वह किसानों को उच्च गुणवत्ता के खाद बीज उपलब्ध कराएं, जिससे किसानों की फसल बेहतर हो और प्रदेश में खाद्यान्न उत्पादन में जिले का नाम प्रमुखता से आए। राज्य सरकार द्वारा भी खाद ,बीज में मिलावट सहित नकली कीटनाशक विक्रय करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही के निर्देश दिए जाते हैं। उसके बावजूद कृषि विभाग के जवाबदारो की लापरवाही या मिलीभगत से अमानक
स्तर के खाद,बीज,कीटनाशक के निर्माण और विक्रय पर प्रतिबंध नहीं लग पा रहा है। निरंतर ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। जिले की सिवनीमालवा तहसील के अंतर्गत ग्राम बराखंड कला में 10 जून को डीएपी के नाम पर नकली खाद बेचने के मामले की सूचना कृषि विभाग के अधिकारी संजय पाठक तक पहुंची थी। जिसके बाद उन्होंने ग्राम बराखड कला पहुंचकर अधिकारियों सहित पुलिस को सूचना देकर बाहर के व्यापारियों द्वारा बिना किसी अनुज्ञा के बेची जा रही खाद को जप्त किया था। उस दौरान उन्होंने प्रथम दृष्टा माना था कि यह मिट्टी भरी हुई नकली खाद है और गोदाम को सील कर दिया गया था। साथ ही कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को घटना की सूचना दी थी। उपसंचालक कृषि जेआर हेडाऊ के दिशा निर्देशन में सिवनीमालवा के कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा जांच करा कर 17 जून को सिवनीमालवा थाने में आरोपी मोहित गौर निवासी ग्राम बराखड़ कला और जगदीश नारूका निवासी गुजरात के खिलाफ विभाग से बिना अनुज्ञा उर्वरक भंडारण और विक्रय के प्रयास में एफआईआर दर्ज कराई गई। कृषि विभाग द्वारा अपनी जांच में अवगत कराया गया कि सिवनीमालवा के ग्राम बराखड़ कला में मोहित पिता रामशंकर गौर की दुकान पर वेलसन फार्मर एंड फर्टिलाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड आनंद गुजरात द्वारा उत्पादित खाद का विक्रय हेतु भंडारण किया गया। जिसमें खाद कंपनी के प्रतिनिधि जगदीश पिता निरंजन सिंह नारूका निवासी आनंद गुजरात द्वारा विक्रय हेतु भंडारित कराई गई। अब बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि कृषि विभाग की बिना अनुज्ञा के कैसे गांव में गुजरात की खाद विक्रय के लिए आ गई? जब बड़ी मात्रा में खाद का भंडारण हो गया तब गांव से कैसे सूचना कृषि विभाग को मिली? जब 10 जून को कृषि अधिकारी ने गांव पहुंचकर खाद की बोरी को देखा तो उन्होंने प्रथम दृष्टा स्वीकार किया कि यह नकली खाद है। अवगत कराया गया कि लगभग 600 बोरियों का स्टॉक है। जिसके बाद खनिज विभाग को जांच पूरी करने में सात दिवस का समय लग गया। उस दौरान यह बताया गया कि खाद के सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजे गए हैं, रिपोर्ट आने के बाद नकली खाद की स्थिति स्पष्ट होगी। घटना के करीब 18 दिन बाद बुधवार को जब उपसंचालक कृषि जेआर हेडाऊ से सिवनीमालवा में पकड़ी गई नकली खाद के विषय में जानकारी ली गई, तो बताया गया कि पकड़ी गई खाद नकली नहीं बल्कि जैविक खाद है। जिसकी जांच मध्यप्रदेश की प्रयोगशाला में नहीं हो सकती है। जिले और प्रदेश में जैविक खाद की जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। पूछने पर उनके द्वारा अवगत कराया गया कि पकड़ी गई जैविक खाद को जांच के लिए फरीदाबाद भेजा गया है। अब बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि जब पूरे जिले में कृषि विभाग का महकमा सक्रिय है तो फिर कैसे बिना अनुमति के गुजरात की कंपनी की खाद सिवनीमालवा के गांव में बिकने के लिए पहुंच गई ? जब खाद मिट्टी नुमा नकली ना होकर जैविक खाद है तो फिर एफआईआर में इतना समय क्यों लगा ? क्यों नकली खाद के विषय को क्लियर नहीं किया गया? जैसे कई सवाल अब सामने आ रहे हैं। अवगत हो 21 अप्रैल 2019 को सिवनीमालवा पुलिस और वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी द्वारा परिवहन करता कीटनाशक दवाओं से भरा लोडिंग फोर व्हीलर पकड़ा था। उस दौरान भी यह बात सामने आई थी कि वाहन में पकड़ी गई कीटनाशक नकली है और उस दौरान पकड़ी गईं कोरोजन कीटनाशक दवा के बिल ऑटो ड्राइवर के पास नहीं मिले थे और ना ही चालान। बाद में वह मामला भी फाइलों में कैद हो गया, जो आज तक पता नहीं चला कि उस मामले में भी क्या हुआ?