सरपंच की अनूठी पहल बच्चों में संस्कृति और संस्कार की भावना पैदा करने
कटनी ( 21 मई )- रीठी जनपद की ग्राम पंचायत पटेहरा के सरपंच रामसहाय बेन इन दिनों अपनी अनूठी पहल की वजह से सुर्खियों में हैं। उन्होंने ग्राम के बच्चो को भारतीय संस्कृति की सीख देने एवं उनमें संस्कार डालने की अभिनव पहल की है। इतना ही नही उन्होंने अपने निजी खर्चे पर बच्चो में संस्कार डालने एवं प्रोत्साहित करने बकायदा गली ,मुहल्ले में पम्पलेट भी चिपकवाये है ,।जिसमे उल्लेख किया गया हैं जो बच्चे 5 वर्ष से अधिक उम्र के हो गए हैं , ऐसे बच्चे सुबह उठकर अपने– अपने माता -,पिता के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करेंगे ।,ऐसे बच्चों को प्रतिमाह प्रत्येक बच्चों को टॉफी ,बिस्किट ,आदि के लिए 30 रुपये प्रतिमाह प्रोत्साहन राशि दी जायेगी।
ग्राम के बच्चो ने सरपंच की इस पहल को अपने अनुसरण में लिया है और प्रत्येक रोज सुबह उठकर अपने माता– पिता के पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। बच्चो के इस सराहनीय कार्य से उनके माता– पिता अति उत्साहित हैं एवं ग्राम के सरपंच रामसहाय बेन की भूरि– भूरि प्रसंशा भी कर रहे हैं
इतना ही नहीं बच्चो के इस तरह की दिनचर्या एवं इस जीवन शैली से प्रभावित होकर बच्चो के माता –पिता भी अपने घर पर अपने बूढ़े माता– पिता के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेकर इस परंपरा का अनुसरण कर अपने माता –पिता का आशीर्वाद ,ले रहे हैं ,।
वहीं ग्राम पंचायत पटेहरा के सरपंच रामसहाय बेन ने कहा कि मेरे मन मे ऐसा ख्याल आया कि क्यों न ग्राम पंचायत के विकास के साथ साथ , नौनिहालों,नवयुवकों ,को ,ऐसी प्रेरणा दी जाय। जिससे बच्चो में अनादि काल से चली आ रही परम्परा जो विलुप्त होने लगी है, उसे पुनः जीवित किया जाय जिससे बच्चो में संस्कार के साथ ,माता पिता के प्रति अच्छी भावना,उनके प्रति ,आदर ,सदभाव , कर्तव्य,आदि का बोध होने लगे,साथ ही सरपंच ने कहा कि इस दुनिया मे बच्चो के लिए उनकी उन्नति,उनके अच्छे भले के लिए जो संस्कार शिक्षा माता पिता से ,मिल सकता है वह दुनिया मे कोई नही दे सकता,वही प्रख्यात लेखक साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद ने लिखा है कि बच्चो की प्रथम पाठशाला मां होती है, इसी वाक्ये को पटेहरा ग्राम पंचायत के सरपंच चरितार्थ कर रहे हैं