रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम।अधिवक्ता स्व श्री कृष्ण कुमार पटेल जी की पुण्य स्मृति में आयोजित श्रीमद्भागवत के चतुर्थ दिवस श्रद्धेय गुरुदेव आचार्य श्री नरेश परसाई जी की उपस्थिति में श्रीमद् भागवत में भागवतभूषण आचार्य पुष्कर परसाई जी ने भरत चरित्र का वर्णन करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि मनुष्य देह दिव्य तप ओर भगवत साधना के लिए प्राप्त हुई है ।84 हजार योनियों में केवल मनुष्य देह में ही ब्रह्मानंद की प्राप्ति की जा सकती है।इसलिए इस देह से साधना करनी चाहिए ।
आचार्य श्री ने अष्टम स्कंध की गज ग्राह की कथा की विवेचना करते हुए कहा कि ग्राह माया के समान है गज जो है वह जीव का प्रतीक है गज-ग्राह प्रसंग से हमें ये शिक्षा मिलती है कि जो जीव सच्ची श्रद्धा से विश्वास के साथ भगवान् का स्मरण करता है प्रभु उसके संकट को हरने उसी क्षण उपस्थित हो जाते हैं आचार्य श्री ने गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र का महत्त्व बताते हुए कहा कि जो भी मनुष्य इसका नित्य पाठ करता है उसके जीवन में कभी संकट नहीं आते और लक्ष्मी की वृद्धि होती है।इसके पश्चात भागवत भूषण आचार्य पुष्कर परसाई जी ने संगीतमय कृष्ण जन्म की कथा सुनाई उन्होंने बताया कि राम की कथा से मन की शुद्धि होती है इस लिए है वेदव्यास जी ने कृष्ण जन्म के पूर्व राम जन्म की कथा कही जो भी मनुष्य राम जी की कथा सुनता है वही कृष्ण कथा का अधिकारी है । क्योंकि राम जी मर्यादा पुरुषोत्तम है भगवान श्रीराम का पूरा चरित्र मर्यादाओं में रहा है और भगवान कृष्ण का लीला चरित्र है भगवान कृष्ण लीला पुरुषोत्तम है भगवान कृष्ण की लीलाएं राम जी की तरह मर्यादा में रहकर कि समझा जा सकता है। इसके पश्चात कृष्ण जन्मोत्सव भक्तो द्वारा मनाया गया ।बधाई व मंगल गीत गाये गए।माखन मिश्री का भोग लगा कर भक्तो को प्रसादी वितरण हुआ। कथा के आयोजक श्री कुमार साहब पटेल ने अधिक से अधिक संख्या में पधारने का निवेदन किया ।