कलेक्टर ने लिखा था स्कूल प्रबंधन को पत्र
कटनी( 28 मार्च )- क्षय रोग और कुपोषण के विरुद्ध चलाए जा रहे राष्ट्र व्यापी अभियान में अपनी मासूम उम्र को मात देते हुए अपनी समझ, संवेदनशीलता, समर्पण और सेवा भाव से सहयोग देकर आम जनमानस के लिए मिसाल प्रस्तुत करने वाले जिले के तीन विद्यार्थियों का उनके स्कूलों में स्कूल प्रबंधन द्वारा न सिर्फ सम्मान किया गया बल्कि उनके इस पुनीत कार्य को स्कूल के बच्चों के सामने प्रस्तुत भी किया गया।
जनता के लिए मिसाल हैं ये बच्चे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा चलाए जा रहे टीबी मुक्त भारत अभियान में टीबी मरीजों के आहार के लिए अपनी गुल्लक में जोड़ी गई राशि देकर देश की सबसे कम उम्र की निक्षय मित्र, सबसे युवा रेडक्रॉस सदस्य और जिले में टीबी मुक्त भारत अभियान की ब्रांड एंबेसडर का गौरव प्राप्त करने वाली कक्षा 8 वी की 13 वर्षीय छात्रा मीनाक्षी क्षत्रिय का उसके ही स्कूल सैंट जेवियर स्कूल जबलपुर में स्कूल प्राचार्य श्रीमती माला द्वारा प्रोत्साहन स्वरूप सम्मान किया गया। साथ ही उसके इस योगदान से स्कूल असेंबली में
सभी विद्यार्थियों को अवगत कराया गया। जिस पर सभी बच्चों ने करतल ध्वनि से मीनाक्षी के इस योगदान को सराहा। इसी तरह कुपोषण के खिलाफ जिला प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे अभियान और कुपोषित बच्चों को गोद लेने के प्रति अपनी संवेदनशीलता और समर्पण का परिचय देते हुए केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 1 एसटीसी जबलपुर की कक्षा 2 की मासूम छात्रा अभिश्री चौकसे और कक्षा 6 के छात्र दिव्य चौकसे द्वारा अपनी क्रिकेट किट के लिए जोड़ी गई बचत राशि पत्र लिखकर कलेक्टर कटनी अवि प्रसाद को समर्पित करने की मंशा जाहिर की गई थी। इतनी कम उम्र में समाजसेवा के लिए समर्पण की इस भावना ने कलेक्टर श्री प्रसाद को प्रभावित और अचंभित किया था। इन दोनों बच्चों को प्रोत्साहित करने उनके स्कूल केंद्रीय विद्यालय जबलपुर में स्कूल प्राचार्य पीबी पांडे द्वारा सम्मान फलक भेंट कर सम्मान किया गया। साथ ही उनकी इस अनुकरणीय पहल से स्कूल असेंबली के माध्यम से सभी को अवगत कराया गया। दोनों बच्चों के इस प्रेरणास्पद कृत्य को सभी बच्चों ने ताली बजाकर सराहा।
कलेक्टर ने लिखा था स्कूल प्रबंधन को पत्र
उल्लेखनीय है कि तीनों बच्चों की संवेदनशीलता, सेवा और समर्पण भावना से प्रभावित कलेक्टर अवि प्रसाद ने इन तीनों बच्चों को प्रोत्साहित करने उनके स्कूल प्राचार्यों को पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने इन बच्चों को उनके अनुकरणीय योगदान के लिए स्कूल असेंबली में सम्मानित कर उनके इस पुनीत कार्य को अन्य बच्चों तक पहुंचाने कहा था, जिससे अन्य बच्चे भी इससे प्रेरणा ले सकें।