सीमा कैथवास की रिपोर्ट
कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह , बरेली विधायक देवेंद्र पटेल ,रामेश्वर नीखरा , संतोष मालवीय सम्मिलित हुए,
भंडारे के साथ हुआ कार्यक्रम का विश्राम,
सोहागपुर । सोहागपुर के करनपुर ग्राम में अनंत श्री विभूषित पश्चिमाम्नाय द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में एवं पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री सोमेश परसाई जी के आचार्यत्व में आयोजित श्री सवाकरोड शिवलिंग निर्माण में आज सप्तम दिवस विश्राम दिवस के अवसर पर पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री सोमेश परसाई जी ने कहा कि आज एकादशी है जो कि भगवान नारायण को प्रिय है भगवान नारायण को भगवान शिव भी प्रिय है इसलिए आज का दिन हरिहर महोत्सव बन गया है ।कुछ धर्म शत्रु कहते है कि पूजा पाठ व्यर्थ ,भगवान को दूध चढ़ाना व्यर्थ है किंतु वास्तविकता में जिसने अनुभव किया हो उनसे पूछो तो वह कहेंगे कि भगवान शिव की पूजा ही अर्थ है अर्थात हम इस योग्य है कि हम पूजा कर पा रहे हैं इससे बड़ा कोई धन नही । भगवान शिव की भस्म का महत्त्व बताते हुए आचार्य श्री ने कहा कि भगवान शिव की भस्म लगाने मात्र से आपकी समस्याओं न निवारण प्रारम्भ हो जाता है बुद्धि निर्मल हो जाती है ।आचार्य श्री ने शिवलिंग का विधान बताते हुए कहा कि लोहे के शिवलिंग की पूजा करने से शत्रुओं का शत्रुओं की बुद्धि का नाश होता है,स्वर्ण के शिवलिंग की पूजा करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ,चांदी के शिवलिंग की पूजा से घर मे सुख समृद्धि खुशहाली आती है, नर्मदेश्वर स्वयं प्रतिष्ठित शिवलिंग होता है इसकी प्राणप्रतिष्ठा की आवश्यकता भी नही होती ऐसे नर्मदेश्वर मोक्ष को प्रदान करने वाले शिवलिंग है और पार्थिव शिवलिंग अर्थात मिट्टी के शिवलिंग इनको तो शिवलिंगों में राजा माना गया है जो व्यक्ति मिट्टी के शिवलिंग बना कर उनकी पूजा अभिषेक करता है भगवान शिव की कृपा से उसकी मनवांछित कामनाये तो पूर्ण होती ही हैं साथ में मोक्ष का भी अधिकारी होता है। इसके पश्चात आचार्य श्री ने कहा कि हानि लाभ जीवन मरण ये सब परमात्मा के हाथ मे है जो आपका प्रारब्ध है उसको तो आपको भोगना ही है सूर्यादि नवग्रह हमारे प्रारब्ध के अनुसार ही हमारी कुंडली मे बैठते है उस पूर्व जन्म के और इस जन्म के कर्म फल का निर्धारण करते हैं और इन कर्म फल को हमे भोगना भी पड़ता है किंतु भगवान शिव के अलावा किसी में इतना सामर्थ नही कि विधि का लिखा भी मिटा सकें यह सामर्थ केवल भगवान शिव में ही है भगवान शिव की कृपा से ही विधि का लिखा समाप्त किया जा सकता है।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र का प्रारंभ स्वस्तिवाचन के साथ हुआ तत्पश्चात यजमान हरगोविंद पुरविया जी द्वारा वैदिक मंत्रों के मध्य गणेश गौरी जी का पूजन किया गया मंडलादि पूजन हुआ वैदिक विद्वानों ने रुद्रपाठ का पाठ किया ।तत्पश्चात शिवभक्तों ने रुद्री निर्माण प्रारम्भ किया । कार्यक्रम के पश्चात आयोजक हरगोविंद पुरविया जी ने आचार्य श्री का एवं सभी विप्रजनो का सम्मान किया कार्यकर्ताओं के प्रति आभार व्यक्त किया । तत्पश्चात भंडारे का आयोजन किया गया । कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जीबरेली विधायक देवेंद्र पटेल जी,रामेश्वर नीखरा जी,संतोष मालवीय जी आदि सम्मिलित हुए।