गंज बासौदा से मुकेश चतुर्वेदी की रिपोर्ट
खास त्यौहार या मौके पर ही शासकीय अनुसूचित जाति बालक छा़त्रावास में विषिष्ट भोजन छात्रों को मिलता है। वरना रोज मसाले के पानी नुमा दाल और सब्जी में दाल के दाने और आलू के टुकड़े खोजकर सूखी रोटी गले के अंदर निकलना पढ़ती हैं। रविदास जंयती को विकास यात्रा में शामिल होने आए कलेक्टर छात्रावास पहुंचे तो उस दिन विषेष भोजन तैयार कराया गया। उस की गुणवत्ता दिखाने के लिए पूड़ी सब्जी खीर परोसी गई। जब हमारी टीम को भोजन व्यवस्था और उसकी गुणवत्ता देखने पहुंचे सुबह 11 बजे सिर्फ एक मात्र छात्रा अभिषेक जाट अकेला मिला। पूरे छात्रावास में सन्नाटा पढ़ा था। संस्था प्रभारी को भी मोबाइल पर सूचना देकर बुलाना पढ़ा। रसोई घर के एक टेबल पर तीन चार लोगों के खाने के मान से भोजन रखा था। छोटी एलूमिनियम की तपेलियों में मसूर की खड़ी दाल और आलू की पतली सब्जी और रायता नुमा मठा रखा हुआ था। यदि कोई भूला भटका छात्र आ जाए तो भोजन कर ले। वरना वहां पदस्थ दो कर्मचारी खा ही जाएंगे।
वर्तमान में यह स्थिति
महाविद्यालीन इस छात्रावास में ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले उन छात्रों को आवास सुविधा दी जाती है। जिन्होंने सरकारी महाविद्यालय में पढ़ने के लिए प्रवेश लिया है। छात्रावास की क्षमता 50 छात्रों की है। किंतु वर्तमान में 37 छात्र के नाम दर्ज हैं। 13 छात्रों के मान से आवास खाली है। सू़त्रों की मांने तो जिन छात्रों के नाम दर्ज हैं। वह कभी कभार सिर्फ रात गुजारने आते या परीक्षा के दौरान रहते हैं। वरना रोज अपने गांव से ही अपडाउन करते हैं। बताया जाता है कि लाल पठार छात्रावास से महाविद्यालय की दूरी पांच किलो मीटर है। इससे उनको आना जाना संभव नहीं रहता।
इसका प्रमाण रसोई घर
भले ही छात्रों के नाम पर आवास आवंटित किए गए हैं। छात्रावास में कितने छात्रा रह रहे है। रोज कितने छात्रों को दोनो टाइम नास्ता और भोजन दिया जा रहा है। इस का प्रमाण को उस समय सामने आया। जब किचिन में तीन छोटी तपेलियों में दाल सब्जी रायते के पानी का झोल दिखाई दिया। वह भी दो तीन कटोरी से ज्यादा नहीं था। मसूर की दाल की जगह खड़े दाने की बनाई थी। सब्जी में आलू के चंद टुकड़ों के अतिरिक्त तली दिखाई दी। रायते में मठ्ठा के अलावा कुछ नहीं था। भोजन का समय सुबह साढे़ 10 से 12 का निर्धारित है। जबकि दावा यह किया जा रहा है। उपस्थिति के अनुसार भोजन और नास्ता है। सबाल इस का है क्या इन वर्तमनों में 37 लोगों का भोजन पक सकता है।
प्रतिछात्र 1460 रूपया मिलता है
छात्रावास में नास्ते और भोजन उपलब्ध कराने प्रति छात्रा 1460 रूपया दिया जाता है। जितने छा़त्र दर्ज हैं। जितने छात्र उपस्थित रहते हैं। उनके ही हिसाब से महीने में राशि का भुगतान किया जाता है। यदि इसी दर्ज उपस्थिति को मान लिया जाए तो छात्रा वास के लिए हर महीने करीब 50 हजार रूपया का भुगतान बनता है। वर्तमान में भोजन बनाने की जिम्मेदारी वहां पदस्थ कर्मचारियों की है। इधर बस्ती के लोगों का कहना है छात्रावास अक्सर संन्नाटा रहता है। कर्मचारी और अधीक्षक ही दिखाई देते है। छात्र तो कभी कभार दिखते हैं।
छात्रावास में सन्नाटे का कारण छात्र सुबह पढ़ने निकल जाते है। कुछ भोपाल परीक्षा देने गए हैं। 50 में से 13 स्थान खाली है। जितने है। उनमें से छह सात आते जाते रहते हैं। सभी को मूनी अनुसार भोजन दिया जा रहा है।
बाइट
नरेंद्र रघुवंशी अधीक्षक
शासकीय अनुसूचित जाति महाविद्यालीन छात्रावास गंजबासौदा