दिनांक (05 फरवरी ) – उच्च शिक्षा विभाग के आदेशानुसार शासकीय तिलक स्नातकोत्तर (अग्रणी) महाविद्यालय में साहित्यिक प्रकोष्ठ द्वारा संरक्षक डॉ. लीला भलावी, अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा, क्षेत्रीय कार्यालय जबलपुर एवं प्राचार्य डॉ. एस.के.खरे की अध्यक्षता में एक दिवसीय ऑनलाईन राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ. पूरनचंद टंडन, सीनियर प्रोफेसर हिन्दी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली एवं मुख्य अतिथि प्रोफेसर मनोज दीक्षित, पूर्व कुलपति, राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद उत्तरप्रदेश रहे हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चरणों में शब्द सुमन अर्पित करने के साथ हुआ। प्रोफेसर जी.एम. मुस्तफा ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए समस्त अतिथिजनों का स्वागत किया। तत्पश्चात् महाविद्यालय के संरक्षक प्राचार्य डॉ. सुधीर कुमार खरे ने दोनों अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आप जैसे महान विभूतियों के व्याख्यान से निश्चित ही स्रोतागण लाभान्वित होंगे और नई शिक्षा नीति-2020 के समस्त बिन्दुओं के प्रति सकारात्मक विचारधारा उत्पन्न होगी। उन्होंने यह भी कहा कि मातृभाषा हिन्दी हमारी अपनी पहचान है और आज मध्यप्रदेश राज्य में चिकित्सा और इंजीनियरिंग का अध्ययन–अध्यापन हिन्दी भाषा में हो रहा है। डॉ. माधुरी गर्ग ने अतिथिजनों का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया।
मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर टंडन जी ने नई शिक्षा नीति– 2020 भाषाओं के परिप्रेक्ष्य में अपने विचारों को बडे ही गंभीरता के साथ रखते हुए मातृभाषा के महत्व पर प्रकाश डाला, उन्होंने ने कहा कि नई शिक्षा जनसामान्य की शिक्षा है, जनसामान्य के विचारों को हम उसकी भाषा में जानकर सामाजिक, राष्ट्रीय स्तर पर महत्व स्थापित कर सकते हैं। हिन्दी भाषा विचार विनिमय का साधन है परिणामतः अंतर्राष्ट्रीय जगत में भी हम भारतीय अपनी पहचान स्थापित कर रहे हैं। नई शिक्षा नीति-2020 के माध्यम से जीवन का सर्वांगीण विकास संभव है। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने कहा कि आज हिन्दी भाषा विश्व की सबसे महत्वपूर्ण भाषा का दर्जा प्राप्त कर रही है।
हिन्दी भाषा के माध्यम से हम अपने जीवन का उत्थान कर सकते हैं। हिन्दी भाषा हमारी अस्मिता की रक्षक है। आज यदि मनुष्य को सर्वांगीण विकास के मार्ग पर अग्रसर होना है, तो निश्चित ही हमें भारत देश में बोली जाने वाली समस्त भाषाओं, क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व देना चाहिए। क्योंकि हर स्तर पर बोली जाने वाली भाषा का अपना महत्व है और इसी से विकास संभव है।
उन्होंने ने यह भी कहा कि परंपरा का पालन करना चाहिए। वर्तमान में स्थित रहकर रूढि़यों का भंजन करते हुए भविष्य को सुधारने का प्रयास करना उचित होगा। परंपरा हमारे मूल्यों को निर्धारित करते हैं, और मूल्य हमारे अस्तित्व को और भाषा अंततः सभी को रूपायित करती है। डॉ. राजेशचंद्र पाण्डेय ने मध्यप्रदेश की जनजातीय भाषा को रेखांकित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश राज्य जनजातीय संस्कृति का रक्षक है और जनजातीय बोली और भाषा को महत्व प्रदान करने से ही हम अपने संस्कृति की रक्षा कर सकते हैं। उन्होंने बोली, उपभाषा, विभाषा, भाषा पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए खडी बोली हिन्दी के महत्व को बताया। उन्होंने ने कहा कि मातृभाषा हिन्दी को कवि भारतेन्दु जी ने सम्मानित करते हुए गर्व का अनुभव किया था। इसी तथ्य को नई शिक्षा नीति में रेखांकित किया गया है। इस कार्यक्रम में डॉ. चित्रा प्रभात, समन्वयक, डॉ. सरदार दिवाकर, सह–संयोजक एवं जिले के समस्त महाविद्यालयों के शैक्षणिक स्टॉफ की उपस्थिति रही। इसके अतिरिक्त ऑनलाईन गूगल फार्म में 262 प्रबुद्धजनों ने पंजीयन कराया। वेबिनार में विशेष तकनीकी सहयोग डॉ. राजकुमार, क्रीडाधिकारी, डॉ. संतोष कुमार सिंह, सहायक प्राध्यापक भौतिकशास्त्र एवं अन्य सहयोगियों ने किया। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन डॉ. माधुरी गर्ग ने किया।