इस दुनिया मैं जीने के लिए सबसे ज्यादा जरूरत इंसानों को रोटी,कपड़ा और मकान की होती, उसके बावजूद भी रोटी,कपड़ा और मकान के बिना कड़कड़ाती ठंड मैं किस तरह अपना जीवन निर्वाह करता होगा ,इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते है,,।
हम बात कर रहे है,कटनी जिले के रीठी तहसील क्षेत्र मैं आने वाली ग्राम पंचायत डांग के परेवगार की जहा के रहवासी गांव, शहर व बस्ती मैं भीख मांगकर अपना गुजर बसर करते है,,।
जहा एक ओर प्रदेश के मुखिया सबका साथ सबका विकास का नारा देते हुए विकास की बाते की जाती है।
तो क्या भीख मांगकर अपना पेट भरने को ही विकास कहते है,,,
यहां के रहवासीयो ने बताया कि न तो हमारे पास राशन कार्ड है और न ही आधार कार्ड जिससे हम कोई योजना का लाभ उठा सकें। हमारे पास कोई घर भी नही है बस पन्नी तानकर रह रहे हैं।और गांव शहर से जो भी भीख मांगने पर मिला उसी से अपने परिवार को पाल रहे हैं ।
जनप्रतिनिधि भी सिर्फ चुनाव के समय वोट मांगने आते है और बड़े-बड़े सपने दिखाकर गए तो दुबारा नहीं आते हैं । हम लोगो को कोई सुनने वाला नहीं है । जो हमारी मदद कर सके ।
अब सवाल यह उठता है कि
हमारे क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने आज तक इस ओर ध्यान क्यों नहीं दिया,,।
जबकि देश के मुखिया का सपना सबका पक्का घर हो अपना उसके बाद भी क्यों इनको पन्नी तानकर रहना और भीख मांगकर अपने परिवार का पेट भरना,,,
यह एक विचारणीय प्रश्न खड़ा होता है,,।अब देखना यह है कि शासन प्रशासन इनकी सुध लेते है या नही,,।
हरिशंकर,, बेन