सीमा कैथवास की रिपोर्ट -नर्मदापुरम । शासकीय महात्मा गांधी स्मृति स्नातकोत्तर महाविद्यालय इटारसी में अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस गौरव और गरिमा के साथ मनाया गया। हिंदी दिवस के अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में शासकीय गृह विज्ञान महाविद्यालय नर्मदापुरम से डॉ श्रुति गोखले, विशिष्ट वक्ता नर्मदापुरम से साहित्यकार अशोक जमनानी , प्राचार्य डॉ राकेश मेहता ,जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष डॉ नीरज जैन स्पिक मेंके के संयोजक सुनील बाजपेई, स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ बीके अग्रवाल, डॉ रश्मि तिवारी ,विधायक प्रतिनिधि दीपक अठोत्रा मंचासीन रहे। अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ राकेश मेहता ने कहा कि हिंदी एक समावेशी भाषा है जिसमें संस्कृत ,पालि ,प्राकृत ,अपभ्रंश एवं कई दूसरी भारतीय भाषाओं के शब्द को ग्रहण करने की क्षमता है । हिंदी भारत के सम्मान और गौरव का प्रतीक है। हिंदी में सबसे सभी भावों को पूर्ण रूप से व्यक्त करने में क्षमता है । श्रृंगार से लेकर वीर रस की अभिव्यक्ति इसकी एक अपनी अलग पहचान को प्रदर्शित करती है। हिंदी में जीवन की निरंतरता है ,जीवन की निरंतरता का प्रतीक है । हिंदी ने अपनी विकास यात्रा को तय कर आज अंतर्राष्ट्रीय मानक पर खरी उतरती जा रही है ,जिससे उसका प्रथम विश्व पटल पर परचम फहराया है । साथ ही हिंदी फिजी राष्ट्र की अधिकारिक भाषा के रूप में अपनी पहचान को शामिल कर चुकी है । विशिष्ट वक्ता डॉ श्रुति गोखले ने कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपने नए आयामों को ग्रहण कर रही है, जिससे उसकी लोकप्रियता निरंतर बढ़ रही है । भाषा संप्रेषण का साधन मात्र नहीं है अपितु उसमें हमारी सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ भारत की आत्मा भी विराजमान हैं । मुख्य वक्ता साहित्यकार अशोक जमनानी ने कहा कि हिंदी में प्रत्येक भाषाओं के शब्दों को ग्रहण करने की क्षमता है जो उसकी उदारता को प्रदर्शित करती हैं । अतिथि तुम कब जाओगे से अपनी बात को रखते हुए कहां की भाषाएं अपने आप में अपनी पहचान को समाहित किए हुए हैं। हिंदी में संस्कृत, पालि ,प्राकृत ,अपभ्रंश भाषाओं के शब्द की बाहुलता है। साथ ही तत्सम, तद्भव ,देशज शब्दों की व्याख्या की । नर्मदापुरम तीन बड़े कवियों की जन्मस्थली है । भवानी प्रसाद मिश्र की कविता का उदाहरण देते हुए मैं गीत बेचता हूं मैं तरह-तरह के गीत भेजता हूं। पंक्तियों से भाषा को बाजार से जोड़ते हुए कहा कि ईमान वाले बाजार के साथ हिंदी बचेगी साथ ही उसकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को बल मिलेगा । जनभागीदारी समिति अध्यक्ष डॉ नीरज जैन ने कहा कि संसार में ज्ञान के जितने अनुशासन हैं उनमें भाषा एकमात्र मानव जीवन की प्राथमिक धरोहर है। समय भाषा में कथा शिल्प की कसौटी देखने को मिलती है जिससे हम साहित्य से परिचित होते हैं। मंचासीन अतिथियों का आभार व्यक्त किया मार्गदर्शन प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ पीके अग्रवाल ने। संचालन हिंदी विभाग के सहायक मनीष कुमार चौरे ने किया। क्रीड़ा अधिकारी संजीव कैथवास, प्राध्यापक डॉ अरविंद शर्मा , ओपी शर्मा , डा अर्चना शर्मा, डा सुमन मनोहर, सुशीला बरबड़े , डा कुजुर सहित विद्यार्थी कार्यक्रम में उपस्थित रहे । कार्यक्रम के आयोजक डॉ संतोष कुमार अहिरवार रहे। अंतरराष्ट्रीय संस्था स्पीक मैके द्वारा प्राचार्या डॉ राकेश मेहता को उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया।