ज्ञात हो कि ग्राम पंचायत द्वारा पूर्व में ग्रामसभा के प्रस्ताव अनुसार ग्राम पंचायत द्वारा ही निर्मित 40 दुकानें आवंटित की गई थीं। दिनांक 7 सितंबर 2022 को सायं 6 बजे दुकानदारों को बेजा कब्जा का नोटिस देते हुए बहोरीबंद एसडीएम ने 8 सितंबर को 2022 को ताला डलवा दिया था। जबकि इसी दिन व्यापारियों द्वारा मान उच्च न्यायालय की शरण ली गई। मामले की सुनवाई जारी थी इधर दुकानों में ताला डलवाया जा रहा था। जिस पर मान उच्च न्यायालय द्वारा एसडीएम बहोरीबंद संघमित्रा गोतम को जवाब तलब किया जा चुका है।
अब जनपद अध्यच द्वारा तत्कालीन सरपंच एवं सचिव को 8 माह पूर्व कार्यकाल में की गई ग्रामसभा दुकान मामले को लेकर बुलाया गया है।
खंड पंचायत अधिकारी ने की अपील
खास बात यह कि विनोद तिवारी खंड पंचायत अधिकारी लगभग अपने पूरे कार्यकाल की नौकरी जनपद बहोरीबंद में की है। अभी ताजा ट्रांसफर कटनी जिले की अन्य जनपद किया गया था। परन्तु राजनैतिक सूजबूझ का लाभ लेते हुए आज भी बहोरीबंद जनपद में डटे हुए हैं।
मान उच्च न्यायालय के आदेशों को नहीं मानते बहोरीबंद के अधिकारी
खंड पंचायत अधिकारी ने जनपद अध्यक्ष से 8 माह पूर्व की ग्राम सभा निरस्त करने की अपील की है। यह आजादी के बाद से ग्राम सभा निरस्त करने का बहोरीबंद जनपद का पहला मामला है।
अब विचारणीय बिंदु यह है कि जब दुकानें पूर्व में आवंटित की जा चुकी है।
आवंटन को आधार न मानते हुए बहोरीबंद एसडीएम द्वारा बेजा कब्जा मानते हुए बेदखली आदेश पारित किया जा चुका है। जिसका मामला मान उच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित किया गया अपील कलेक्टर न्यायालय कटनी में विचाराधीन है। जब तक कटनी कोर्ट द्वारा कोई आदेश पारित नहीं होता तब तक कोई प्रक्रिया नहीं की जा सकती। फिर भी खंड पंचायत अधिकारी द्वारा किए गए अपील आवेदन पर षड्यंत्र की बू आ रही है।
अचानक क्यों सुध आई 8 माह पूर्व की ग्रामसभा की
8 माह बाद अचानक ऐसा क्या हुआ कि ग्राम सभा निरस्त किए जाने का प्लान किया जाने लगा। सूत्रों की माने तो ग्रामसभा दुकान मामले में एक ऐसा पेंच है। जिसकी अरचन अधिकारियों को परेशान कर रही है।
मुख्यमंत्री की मंशा के विपरीत बहोरीबंद के अधिकारी
जहां एक ओर प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ग्राम सभा ही ग्राम सरकार की घोषणा कर रहे वहीं बहोरीबंद में बैठे अधिकारियों को इससे कोई सरोकार नहीं है। अधिकारी अपना ईगो बनाकर काम कर रहे हैं। ऐसे में प्रदेश के मुखिया की मंशा पर पलीता लगता दिख रहा है।
ग्रामसभा की कार्यवाही का पालन होने के बाद अपील क्यों
पूर्व कार्यकाल में जब ग्रामसभा का पालन किया जा चुका है, दुकानदारों को दुकान आवंटित की जा चुकी हैं फिर प्रक्रिया का पालन होने के बाद नियमतः ग्रामसभा निरस्त नहीं की जा सकती। इसको लेकर उच्च अधिकारियों को यह गंभीर मामला संज्ञान में लेना चाहिए।