विदिशा जिला ब्यूरो मुकेश चतुर्वेदी
गंजबासौदा।प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय मंशापूर्ण हनुमान मंदिर के पास स्थित सेवाकेंद्र द्वारा गीता जयंती पर कार्यक्रम आयोजित किया गया एवं सभी संत महात्माओं का सम्मान पटका, पुष्प, एवं सौगात देकर किया गया जिसमें रेखा दीदी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि गीता ज्ञान दाता परमपिता परमात्मा ज्योति बिंदु शिव है। गीता में भगवान ने अपना परिचय देते हुए कहा है कि मैं महाकाल हूं, लोकक्षय के लिए प्रगट होता हूं, अध्याय 10/33, 11/32, गीता में भगवान के महावाक्य हैं- में अजन्मा और अविनाशी हूं, अध्याय 7/25, में जन्म लेने पर भी अजन्मा हूं अध्याय 10/3, में अजन्मा हूं और चर्म चक्षु के लिए अप्रत्यक्ष हूं अध्याय 11/8, मेरा जन्म दिव्य है अध्याय 4/9, में पतित पावन हूं अध्याय 4/36, ब्रह्मा के द्वारा स्थापना, विष्णु के द्वारा पालना, शंकर के द्वारा विनाश कराते हैं अध्याय 13/16 इन महावाक्यों से स्पष्ट है कि भगवान का जन्म नहीं होता अवतरण होता है इसलिए भगवान ने गीता में कहा है कि जब-जब धर्म की ग्लानि होती है तब तब मैं संसार में अवतरित होता हूं अध्याय 4/7, गीता में भगवान ने कहा है वे प्रकृति को अधीन करके एक साधारण मनुष्य के तन में आविस्ट- प्रविष्ट होता हूं, अध्याय 9/8, 7/24, 7/25, 9/11, 4/6, मनुष्य से देवता बनाने वाला विकारी से निर्विकारी बनाने वाला व साधुओं का भी उद्धार करते हैं पाप कर्म करने वालो का विनाश व एक सतधर्म की स्थापना करते हैं अध्याय 4/8, मैं तुम्हारा पिता हूं, पिता का भी पिता हूं, सारे जगत का पिता हूं, अध्याय 9/17, मैं तुम्हारा गुरु हूं, गुरु का भी गुरु, सारे जगत का गुरु हूं, अध्याय 11/43, इन महावाक्यों से स्पष्ट है कि भगवान एक साधारण मनुष्य के तन में प्रवेश करते हैं और गीता का सच्चा ज्ञान देकर योग सिखाते हैं। इसी कड़ी में ब्रह्माकुमारी रुकमणी दीदी ने गीता के द्वारा परमात्मा का दिव्य रूप बताते हुए कहा कि गीता में भगवान ने कहा है कि मेरा रूप अनु से भी सूक्ष्म है, अचिंत्य है। सूर्य वर्ण और ज्योति स्वरूप है, गीता अध्याय 8/9, गीता में भगवान के महावाक्य है मैं अव्यक्त मूर्त हूं (प्रकाशमय) अध्याय 9/4, क्राइस्ट ने भी कहा है गॉड इज लाइट, मुस्लिम धर्म में भी कहा जाता है नूर ए इलाही, गुरु नानक जी ने भी कहा है एक ओंकार निराकार, महाभारत में भी प्रथम अध्याय में कहा गया है कि सर्वप्रथम एक अव्यक्त (अशरीरी) अंडाकार ज्योति प्रकट हुई महा. आदि अनुक्रम 29, 30, 31,32, मनुस्मृति में भी अध्याय 1/9, पर परमात्मा को ज्योतिस्वरूप कहा गया है, भारत के अनेक धार्मिक ग्रंथों में परमात्मा को ज्योति स्वरूप निराकार ज्योति इत्यादि कहा गया है। अतः निराकार परमात्मा शिव प्रजापिता ब्रह्मा के शरीर रूपी रथ में प्रवेश करके गीता का सच्चा ज्ञान सुनाते हैं अध्याय 3/10, वर्तमान समय गीता वृतांत हुबहू 5000 वर्ष पहले की ही तरह पुनरावृत हो रहा है आप भी परमात्मा से वर्सा लेकर अपना जन्मसिद्ध अधिकार प्राप्त कर सकते हैं, महाभारी महाविनाश सामने खड़ा है जिसके पश्चात स्वर्णिम सतयुग आने वाला है। कार्यक्रम में रामबाबू तिवारी, शैलेंद्र, चंद्रशेखर दुबे, लाल दास जी, पंडित दिनेश शर्मा, पंडित कृष्णकांत शर्मा, हरिओम शर्मा, सतानंद चौबे, मल्लिकार्जुन दास, प्रभात शर्मा, हरिसिंह रघुवंशी, सुनील शर्मा, पंडित गौरव कृष्ण शास्त्री, राजाराम दास अधिक संख्या में संत, पंडित, पुजारियों ने कार्यक्रम में भाग लिया।