हिंदू धर्म का सबसे बड़ा दीपावली का पर्व श्रद्धा भाव और उत्साह पूर्वक हम सभी मनाते चले आ रहे हैं,,
ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में आज के दिन भगवान श्री राम लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या वापस आए थे जहां अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था तब से आज तक यह परंपरा चली आ रही है,,।
हिंदू धर्म का सबसे बड़ा पर्व मनाया जाने वाला , दीपावली के त्यौहार मैं बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ मां लक्ष्मी , गणेश तथा भगवान कुबेर की आराधना कर उन्हें प्रसन्न करने के लिए लोग विभिन्न प्रकार के प्रयोजन करते हैं,,ताकि मां लक्ष्मी की कृपा उन पर पूरे वर्ष बरसती रहे ।
इसी के चलते दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन की पूजा विधि विधान से करने के उपरांत संध्या कालीन में यदुवंशियों द्वारा आकर्षक पोशाक पहनकर ग्वाल वालों ने उत्साह पूर्वक प्राचीन काल की परंपरा को निभाते हुए लोक सांस्कृतिक दिवारी गायन के साथ नृत्य करते हुए पूरे ग्राम में भ्रमण किया जिसे देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में जनसैलाब उमड़ पड़ा ।
हम बात कर रहे है,,
कटनी जिले की रीठी तहसील क्षेत्र के ग्राम खम्हरिया नं.1, सिमराकला, बरेहटा , रीठी की जहा आज भी दीपावली पर्व के अवसर पर प्रतिपदा के दिन प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी ग्राम के सभी यदुवंशियों व ग्रामवासियों द्वारा गायों को बिचकाने की परंपर जीवित है । व सभी ग्रामवासियों द्वारा खेरापति गोरैया बाबा की पूजन कर सुख शांति की प्रार्थना करते हुए ग्वाल वालों द्वारा वर्षों चली आ रही परम्परा को निर्वहन करते हुए दीवारी नृत्य अपने क्षेत्रीय भाषा व राग के रंग में नृत्य कर सभी का मन मोह लिया करते है । और पूरे गांव मैं विशाल जनसमुदाय के साथ दिवारी शोभायात्रा निकाली जाती है। जिसे देखने के लिए ग्रामवासियों के साथ आसपास के ग्रामीण इलाकों के लोग भी पहुंचते है
हरिशंकर बेन