शासन चाहे जितना भी शासकीय बजट की पारदर्शिता के पुख्ता इंतजाम कर ले । उसके बावजूद भी ग्राम अधिकारी ग्राम पंचायत के बजट का दुरुपयोग करने मैं कोई कसर नही छोड़ते हैं।
ऐसा ही कुछ मामला कटनी जिले की बहोरीबंद जनपद पंचायत क्षेत्र की ग्राम पंचायत मवई का प्रकाश में आया । जहां पेपर,डायरी,पेन,रजिस्टर खरीदने हेतु सरपंच सचिव ने 10 हजार का ऐसा बिल लगाया । जिसमें 5 रुपए पेन की कीमत को 50 रुपए दर्शाया । इस
ग्राम पंचायत मैं इसे कई बिल बिना विवरण और बिना सरपंच और सचिव के हस्ताक्षर व शील के बिना तथा इतनी ब्राइटनेस को बढ़ाकर पंचायत दर्पण अपलोड किए गए है । जिसको कोई समझ ही ना सके ।
सोचने वाली बात यह है कि इस पूरे मामले में आडिट करने में उपयंत्री भी शामिल होते हैं । जबकि नियमाअनुसार बिल में आवश्यक जानकारी जैसे कि बिल का प्रकार, विवरण, राशि, और भुगतान की जानकारी शामिल होनी चाहिए । बिलों पर सरपंच और सचिव के हस्ताक्षर जरूरी हैं। सरपंच और सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से ग्राम पंचायत के बिलों को वैध माना जाता है । क्योंकि वे ग्राम पंचायत के वित्तीय लेनदेन को नियंत्रित करते हैं. सरपंच ग्राम पंचायत का अध्यक्ष होता है और सचिव ग्राम पंचायत के कामकाज को व्यवस्थित करने में मदद करता है. इसलिए, ग्राम पंचायत के बिलों पर सरपंच और सचिव दोनों के हस्ताक्षर होने चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बिलों की प्रक्रिया सही तरीके से हो रही है ,या नहीं । साथ ही नियम 36 के ग्राम पंचायत को मामूली मामलों को खारिज करने की शक्ति प्रदान करता है। उसके बावजूद भी ग्राम पंचायतो कमीशन की लालच से ऐसे कई फर्जी बिल लगाए जा रहे है । जो कभी उजागर नही हो पाते । और
इतनी भ्रष्टाचारी हो रही हैं कि उच्च अधिकारी मौन धारण किए हुए बैठे हैं ।
हरिशंकर बेन