कालापीपल(बबलू जायसवाल)जो शिक्षा विभाग बच्चों का भविष्य संवारने की शिक्षा देता है,उसी शिक्षा विभाग को योग्य अधिकारी नहीं मिल पा रहे है,या फिर ये कहे कि इन जमे हुऐ अधिकारियों को शायद राजनेतिक संरक्षण प्राप्त है।ये अधिकारी कंबल ओढ़ कर (घी) पीने का काम रहे हैं,कई वर्षों से महत्वपूर्ण पदों पर प्रभारियो को बिठा रखा है, ओर तो ओर जिले में एक अधिकारी को दो महत्वपूर्ण पद पर बिठा रखा है,पहला जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान ओर जिला शिक्षा अधिकारी पद का प्रभारी बना रखा है,अब बात करते हैं कालापीपल ब्लॉक की तो यहां ब्लॉक भी लग-भग प्रभारियो के भरोसे ही चल रहा है,जैसे ब्लॉक शिक्षा अधिकारी,बीआरसी,सी.एम.राईज,कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सहित शिक्षा विभाग के कई महत्वपूर्ण पद पर प्रभारी को बिठा रखा है,क्या कारण है, या फिर यूं कहें कि सत्ता में बैठे नेता उनके आंका है ? प्रश्न खड़ा होता है की राजनीतिक संरक्षण प्राप्त अधिकारियों द्वारा योग्य शिक्षकों को आगे आने नहीं दिया जा रहा है, इतना बड़ा जिला होने के बाद भी योग्य शिक्षक नहीं मिलना”कई सवाल खड़े करता है”बार-बार हाथ जोड़कर उन्ही अधिकारियों को प्रभारी बनाकर बिठा दिया जाता है, ऐसा नहीं है कि जिले में योग्य शिक्षकों की कमी है,मगर योग्य शिक्षक को तभी मौका मिलेगा जब राजनीतिक संरक्षण प्राप्त अधिकारी अपनी सीट खाली करेंगे, कहा जाता है कि शासकीय कर्मचारियों को राजनीति से दूर रहना चाहिए मगर शाजापुर जिले का शिक्षा विभाग अभी राजनीति रूप से ग्रस्त दिखाई दे रहा है,जिसके कारण कई वर्षों से प्रभारीयो को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा रही है,जमे हुए अधिकारियों द्वारा शिक्षा विभाग चलाने के साथ ही कॉलोनाइजर भी बन बैठे हैं,वहीं इन अधिकारियों द्वारा प्राइवेट स्कूलों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है,
यही कारण है कि निजी स्कूल वाले अपनी मनमानी पर उतारू है,इनकी मान्यता भी इन अधिकारियों द्वारा बिना जांच सत्यापन कर दी जा रही है,इन स्कूलों में बहुत सी खामियां होने के बावजूद अधिकारियों द्वारा इनको मान्यता दी जा रही,मध्य प्रदेश स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा इसकी जांच कर शिक्षा क्षेत्र में काम कर रहे योग्य अधिकारीयो को आगे लाना चाहिए ताकि प्रभारीयो के भरोसे बच्चों का भविष्य ना रहे,जिले में बैठे शिक्षा अधिकारी भले ही प्रभारी है मगर उनका रवैया
आमजन और मीडिया के प्रति सही नहीं है,जब भी उनसे बात करने की कोशिश मीडिया द्वारा की जाती है तो श्रीमान हमेशा अपने ही कामों में व्यस्त रहते हैं।