देव भगवान सूर्य के आज से रोहिणी नक्षत्र में गोचर के साथ ही धरती पर नौतपा शुरू हो गया है. देश भर के लोग खासतौर पर मध्य प्रदेश में इस नौतपा का बेसब्री से इंतजार हो रहा था.
उम्मीद थी कि नौतपा इस बार खूब तपेगा. लेकिन पहले ही दिन झमाझम बारिश हो गई. इससे लोगों के मंसूबों पर पानी फिर गया है. भारतीय कृषि परंपरा में नौतपा का संदेश शुरू से ही बड़ा रहस्यमय रहा है. नौतपा को लेकर वैदिक और उत्तर वैदिक ग्रंथों में तो कोई जिक्र नहीं मिलता, लेकिन कई पौराणिक ग्रंथों और उपनिषदों में इसका जिक्र बार-बार आया है.
नौतपा जितना तपेगा, धरती पर उतनी ही बारिश होगी. वहीं, धरती पर जितनी बारिश होगी, उतनी ही फसल अच्छी होगी. इससे देश और समाज का विकास होगा. इसी बात को लोकपरंपरा में जगह और परंपरा के मुताबिक दूसरे तरह से कहा गया है.
क्या है नौतपा का रहस्य?
कूर्म चक्र के मुताबिक पृथ्वी के केंद्र पर रोहिणी नक्षत्र का शासन होता है. भारत के भौगोलिक स्थिति को देखें तो यहां भी केंद्र बिंदु पर रोहिणी ही है. इसीलिए रोहिणी नक्षत्र का ज्यादा असर मध्य भारत पर पड़ता है. नौतपा की शुरुआत सूर्य के रोहिणी में गोचर से हो जाती है. ज्योतिषीय विचार के मुताबिक जब भी सूर्य का गोचर वृषभ राशि में कृतिका और रोहिणी नक्षत्र के आसपास होता है तो सूर्य की सीधी किरणें धरती पर पड़ती हैं. ऐसे हालात में धरती खासतौर पर मध्य प्रदेश और उससे लगते राजस्थान में गर्मी ज्यादा पड़ती है. इस बार सूर्य का रोहिणी में गोचर 25 मई को शुरू हुआ है और तीन जून तक रहेगा. उपनिषदों में कहा गया है कि कई बार चंद्रमा की गति की वजह से इन नौ दिनों में बारिश होती है. यह संकेत होता है कि मानसून में बारिश कम होगी. इसी परिस्थिति को रोहिणी कंठ का नाम दिया गया है.