MPNEWSCAST मनीष गौतम
पनीर की तुलना में सस्ता होने की वजह से रेस्टारेंट और होटलों में एनॉलाग पनीर के उपयोग का चलन बढ़ता जा रहा है। जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि पैकेट बंद पनीर ग्राहकों की जानकारी में लाकर ही बेचा जा सकता, वहीं खुले में भी असली पनीर के नाम पर एनॉलाग पनीर बेचना विक्रेता के लिए जुर्माना या कारावास का कारण बन सकता है। जिला प्रशासन ने पनीर के नाम पर एनॉलाग पनीर का विक्रय करने वाले प्रतिष्ठानों तथा खाद्य पदार्थ परोसने वाले होटल और रेस्टारेंट की जाँच के लिये विशेष अभियान चलाने के निर्देश खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों को दिये हैं। प्रशासन ने नागरिकों से भी खरीदते समय यह देखने का आग्रह किया है कि असली पनीर के नाम पर कहीं उन्हें एनॉलाग पनीर तो नहीं बेचा जा रहा है।
जिला प्रशासन ने आम नागरिकों को जागरूक करने पनीर और एनॉलाग पनीर के बीच के अंतर को भी स्पष्ट किया है तथा सामान्य तौर पर इनकी पहचान कैसे की जा सकती है, इसके तरीके भी बताये हैं। हालाकि प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि एनालॉग पनीर के विक्रय पर कोई रोक नहीं है। लेकिन दूध से बने पनीर के नाम पर एनॉलाग पनीर बेचना या खाद्य पदार्थ में इसका उपयोग करना कानूनन अपराध है। प्रशासन ने खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों के हवाले से बताया है कि पनीर एक दुग्ध उत्पाद है, जिसे दूध में नींबू का रस या सिरका डालकर बनाया जाता है। वहीं, एनॉलाग पनीर दुग्ध उत्पाद से बनाये पनीर के समान दिखाई देता है, लेकिन इसे दुग्ध वसा (मिल्क फेट) के स्थान पर वनस्पति तेल, स्टार्च, नट्स और सोया जैसे गैर-डेयरी उत्पादों से बनाया जाता है।
असली पनीर एवं एनॉलाग पनीर के बीच के अंतर को और ज्यादा स्पष्ट करते हुये बताया गया है कि पनीर हल्का नर्म एवं स्पंजी होता है, दूध की हल्की मीठी खुशबू आती है और इसमें प्रोटीन कैल्शियम एवं अन्य पोषक तत्व होते हैं, वहीं एनॉलाग पनीर दिखने में पनीर जैसा ही होता है लेकिन यह सख्त और रबड़ जैसा होता है। एनॉलाग पनीर में पनीर की तुलना में कम पोषक तत्व होते हैं। एनॉलाग पनीर दूध के घटकों को गैर डेयरी उत्पादों जैसे वनस्पति तेल, स्टार्च, नट्स, सोया आदि से बदल कर बनाया जाता है और इसलिये इसमें दूध की हल्की मीठी खुशबू का भी अभाव होता है। एनॉलाग पनीर में सैचुरेटेड फेट की मात्रा अधिक हो सकती है और इस वजह से यह हृदय रोग का कारण भी बन सकता है।
प्रशासन के मुताबिक नागरिकों द्वारा खरीदते समय पनीर मिल्क फेट से बना है या यह एनालॉग पनीर है, इसका परीक्षण मौके पर ही किया जा सकता है। मिल्क फेट से बने पनीर और एनॉलाग पनीर की जाँच तीन तरह से की जा सकती है। भौतिक परीक्षण में पनीर को छूकर या चखकर देखा जा सकता है। असली पनीर का स्वाद दूध जैसा होता है और यह नरम होता है। इसका रंग सफेद या हल्का पीला होता है और यह खुरदरा होता है तथा खींचने पर टूट जाता है। वहीं, एनॉलाग पनीर रबड़ जैसा खिंचता है तथा छूने पर चिकना और सख्त होता है। तथा सूंघने पर जबकि पनीर थोड़ा खुरदुरा, नरम एवं तोड़ने पर टूट जाता है। इसी प्रकार टिंचर से परीक्षण कर भी असली पनीर और एनॉलाग पनीर की पहचान की जा सकती है। पनीर का थोड़ा टुकड़ा मैश करने और उसमें टिंचर आयोडीन की कुछ बूंदे डालने पर एनॉलाग पनीर स्टार्च का इस्तेमाल होने के कारण भूरा अथवा काला पड़ जाता है, जबकि मिल्क फेट से बने असली पनीर के रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता। पनीर और एनॉलाग पनीर की पहचान का तीसरा तरीका तेल परीक्षण है। पनीर को गर्म करने पर असली पनीर होने की स्थिति में वह तेल नहीं छोड़ता अथवा बहुत कम तेल छोड़ता है, जबकि एनॉलाग पनीर है तो गर्म करने पर वह साफ तेल छोड़ेगा।
जिला प्रशासन के मुताबिक खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम-2006 विनियम 2011 की धारा 50 के अनुसार क्रेता द्वारा मांगी गई प्रकृति का खाद्य पदार्थ विक्रय न किये जाने पर अथवा मिथ्याछाप खाद्य पदार्थ बेचने पर विक्रेता के विरुद्ध दो लाख रूपये तक जुर्माने का प्रावधान है। यदि पनीर के नमूने में यूरिया अथवा डिटर्जेंट पाया जाता है तो ऐसी स्थिति में जुर्माने के साथ-साथ कारावास की सजा का भी प्रावधान है। एफएसएसएआई के होटल और रेस्टारेंट के लिये भी एनॉलाग पनीर की लेबलिंग के दिशा-निर्देश हैं। होटल एवं रेस्टारेंट को यह बताना अनिवार्य है कि वे कौन सा पनीर ग्राहकों को परोस रहे हैं।