कालापीपल(बबलू जायसवाल)जांच का बड़ा विषय ग्राम पंचायत चाकरोद का जहां पर शासन द्वारा सन् 1981-1982 में अनुसुचित जाति के गरीब लोगों जीवन यापन करने के लिए सरकार ने पट्टे दिए गए थे,जो आज जन चर्चा का विषय बना हुआ है,वजह है जिन पट्टों को सरकार ने गरीबों को दिए थे उन पट्टों पर आखिर नगर के धन्ना सेठों ने कब्जा कैसे कर लिया और बिक्री से प्रतिबंध पट्टों की इन लोगों ने कागजों में 420 करके रजिस्ट्रीया कैसे करवा ली,यह सारा मामला नगर में चर्चा का विषय बना है क्या इस पूरे मामले में शासन-प्रशासन की सांठ-गांठ भी स्पष्ट उजागर हो रही है,कारण है मीडिया लगातार पिछले 10 वर्षों से पट्टे के मुद्दों को उठा रहा है,कुंभकरण की नींद सोया प्रशासन कार्यवाही करने को तैयार नहीं,समाचार पत्र में प्राथमिकता से बिक्री से प्रतिबंधित पट्टे का मुद्दा उठाया”मगर नतीजा शून्य निकला”
लेकिन प्रशासन द्वारा कार्यवाही के नाम पर एक दो बार जांच जरूर करवा दी गई है,पर इस जांच से पट्टों पर कब्जा कर बैठे भू-माफियाओं के कान पर जूं तक नहीं रेंगी,अधिकारियों ने जांच में खाना पूर्ति करके मामले को ठंडे बस्ते मे डाल दिया,वर्तमान में भी मीडिया के माध्यम से अनुविभागीय अधिकारी अर्चना सिंह को भी जानकारी मिल चुकी है,लेकिन अधिकारीयो द्वारा कार्यवाही के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही दिया जाता है,हितग्राहियों से औने-पौने दामों में पट्टे खरीदकर भू-माफिया करोड़ों की जमीन के मालिक बन बैठे हैं,और कहीं ना कहीं इस पूरे मामले में अधिकारी और कर्मचारीयों की सांठ-गांठ नहीं होती तो शायद बिक्री से प्रतिबंधित पट्टों की रजिस्ट्रीया कभी नहीं हो सकती थी,नीचे से ऊपर तक के कर्मचारी/अधिकारी की मीली भगत से अनुसुचित जाति के लोगों को बांटे गए पट्टों पर वकील,व्यापारी,नगर सेठ,राजनीति मैं अपना वर्चस्व रखे ने वालो लोगों का कब्जा कैसे हो गया”यह विचारणीय प्रश्न इतने साल बीत जाने के बाद भी क्यों कार्यवाही नहीं हो पा रही है,हमारा मानना है कि यदि 200 से 300 बीघा जमीन यदि सरकार के अधीन में आती है तो सरकार इस जमीन पर उद्योग लगाकर युवा बेरोजगार लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा कर सकती है,भू-माफिया आज खुले में प्रशासन को चुनौती दे रहा है…!