रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। भा.म.सं. से संबद्ध नपा.कर्म. मजदूर संघ कार्यकारी अध्यक्ष महेश वर्मा ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि चाचा के स्थान पर एवं आत्महत्या के पश्चात परिवार के आश्रितों को लेकर नगरपालिका में अनुकंपा नियुक्तियां दी गई है। उनकी सत्यता के लिए उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका क्रमांक डब्ल्यू पी 35096/2024 चलायमान है। जिस पर 19 फरवरी 2025 में नगरपालिका के द्वारा जवाब दावा प्रस्तुत किया गया है। उसमें बहुत से साक्ष्य छुपाये गये है, जैसे मृतक कर्मचारी ने कितनी बार नामिनी बदले हैं शपथपत्र पर , नामिनी फार्म पर नामिनी बदलने के बाद कार्यालय कलेक्टर से उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र लिया गया, गोदनामा या नामिनी में हिंदु दत्तक ग्रहण अधिनियम में 18 वर्ष से कम आयु होना चाहिए पिता राज्य शासन में पदस्थ थे मृतक कि पत्नी का क्या हुआ? ऐसे बहुत से सवाल है जिनका सामना चपरासी के पद पर अनुकंपा नियुक्ति पाने वाले आश्रित को करना है। राज्य शासन से जारी आदेश में दत्तक पुत्र/पुत्री को अनुकंपा के लिए आयोग माना है। सारी जांच बिंदु तत्कालीन सीएमओ नवनीत पांडे पर केन्द्रित कर दी गई है। जारी विज्ञप्ति में यह भी अवगत कराया गया है कि मृतक कर्मचारी में दो चौकीदार, एक सफाई संरक्षक और उपयंत्री शामिल हैं। गाड़ीखाना में पदस्थ चौकीदार को अनुकंपा नियुक्ति दी गई थी, उसकी मृत्यु के पश्चात उसकी बहन को अनुकंपा नियुक्ति दी गई। सफाई संरक्षक कर्मचारी नियमित था, ट्रेन से आत्महत्या करने के पश्चात उनके आश्रित को राज्य शासन कि संबल योजना के तहत दो लाख रुपए मृतक राशि का लाभ दिया गया और अनुकंपा नियुक्ति पर पद स्थापना दी गई। उपयंत्री की बहन के द्वारा रिश्वतखोरी से परहेज किया गया इसलिए नगरपालिका में पद खाली होते हुए भी अनुकंपा नियुक्ति पर पद स्थापना नहीं दी गई है। राज्य शासन की अनुकंपा नियुक्ति नियमावली या आदेश में आत्महत्या करने वालों के आश्रित पात्र थे तो विभागीय वरिष्ठ कार्यालय से अनुसंशा पत्र आदेश क्यों जारी किया गया? उक्त अनुसंशा पत्र आदेश का लाभ अन्य दूसरे आश्रितों को क्यों नहीं दिया गया?आत्महत्या पर आश्रितों को जो अनुकंपा नियुक्तियां दी गई है उस पर शासन कि तरफ से कोई दिशा निर्देश नहीं है।