शासकीय कन्या महाविद्यालय कटनी में आज दिनांक 12 मार्च 2025 को जनजातीय गौरव दिवस के उपलक्ष्य में जनजातीय नायकों पर केन्द्रित व्याख्यान का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती के समक्ष दीप माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित करके किया गया । इस अवसर पर श्रीमती स्मृति दहायत ने सरस्वती वंदना की । मंचासीन विभूतियो को बैच लगाकर एवं स्मृति चिन्ह प्रदान करके स्वागत किया गया । महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. चित्रा प्रभात ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय समाज के एक वर्ग जिसे जनजाति के नाम से पुकारा जाता है उन्होने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई बल्कि इस देश के सामाजिक ढ़ांचे को बनाये रखने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया । वनवासी कल्याण अश्राम जबलपुर से सुश्री दमयंती सिंह मुख्य वक्ता के रूप में व्याख्यान दिया जो वर्तमान में बरकतउल्लाह विश्वद्यिालय भोपाल की शोधार्थी है । उन्होने कहा कि वर्तमान वर्ष बाबा बिरसा मुंडा कि 150 वीं जंयती है । मध्यप्रदेश शासन द्वारा इस वर्ष का थीम जनजातियों के ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और सामाजिक गौरवशाली तथ्यों को जानना घोषित किया गया है । उन्होने कहा कि हमे इतिहास की पुस्तकों में पढ़ने के लिये मिलता है कि स्वतंत्रता आन्दोलन मंगल पांडे ने 1857 में प्रारंभ किया था। जबकि उन्होने सैनिक विद्रोह किया था । सामाजिक विद्रोह तो 1785 में ही बाबा तिलका मांझी ने शुरू की थी । जनजातीय समाज के लोग अपने परिवार के ही नही बल्कि समाज और राष्ट्र के प्रति सदियों से प्रतिबद्व है । उनके शौर्य, वीरता, विचार समृद्वि, अस्तित्व संघर्ष और चरित्र निर्माण से बहुत कुछ सीखा जा सकता है । अपने व्याख्यान में सुश्री दमयंती सिंह ने आगे कहा कि गौड़ जनजाति परिवार की रानी दुर्गावती ने आजीवन मुगलों से संघर्ष किया जबकि उनके वशंज शंकरशाह, मदनशाह ने अंग्रेजो से । आगे उन्होने ने कहा कि जनजातीय समाज सदियों से पर्यावरण के प्रति जागरूक है जिसका उदहारण पौधो, वृक्षों नदियों, पहाड़ो को बिना नुकसान पहॅुचाएं अपनी आवश्यकता की पूर्ति करना रहा । साथ ही उन्होने औषधि के रूप में जड़ी बूटियों का उपयोग किया । कार्यक्रम संयोजक डॉ. विमला मिंज ने अपने उदबोधन मे कहा कि जनजाति नायकों ने समाज और देश के निर्माण में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया किन्तु उन्हे इतिहास में उचित स्थान नही मिला । आज आवश्यकता है कि जनजातियों को गौरवशाली इतिहास पर शोध कार्य करके प्रचार प्रसार किया जाये । कार्यक्रम का संचालन डॉ. संजयकांत भारद्वाज ने किया और तकनीकी सहयोग श्री भीम बर्मन, डॉ. फूलचंद कोरी, श्रीमती प्रियंका सोनी ने किया । कार्यक्रम के पूर्व जनजातीय नायकों पर केन्द्रित प्रदर्शनी का सभी ने अवलोकन किया । कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ प्राध्यापकगण डॉ. साधना जैन, डॉ. रश्मि चतुर्वेदी, डॉ. किरण खरादी, डॉ. अमिताभ पाण्डेय, श्री के.जे; सिन्हा, श्रीमती बंदना मिश्रा, श्रीमती सुनीता श्रीवास्तव, डॉ. के.जी. सिंह, डॉ. अपर्णा मिश्रा, डॉ. अशोक शर्मा, डॉ. रीना मिश्रा, डॉ. सपना झारिया, डॉ. स्मिता यादव, श्रीमती सृष्टि श्रीवास्तव, डॉ. वंदना चौहान, श्रीमती रिचा पाण्डेय, डॉ. मैत्रयी शुक्ला, श्री आंजनेय तिवारी, डॉ. प्रतिमा सिंह , श्रीमती देववती, श्रीमती पूनम गर्ग, श्री मदन मरावी, श्रीमती रत्नेश कुशवाहा,डॉ. अनिका वालिया, श्रीमती आरती वर्मा, सुश्री पूजा राजपूत, श्री इमरान खान एवं भारी संख्यो में छात्राओ की उपस्थिति रही ।