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बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक समस्या है, जो न केवल बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करती है, बल्कि उनके भविष्य को भी अंधकार में डाल देती है। शासकीय कन्या महाविद्यालय, कटनी में इस विषय पर एक भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें महाविद्यालय की छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस प्रतियोगिता में अंशिका बर्मन, मनीषा अहिरवाल, आसमा खां, रचना, ईशा सोनी, और आस्था खरे जैसी प्रतिभाशाली छात्राओं ने अपने विचार प्रस्तुत किए।महाविद्यालय की प्राचार्य, डॉ. चित्रा प्रभात ने छात्राओं को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि भारत विविधताओं का देश है। यहां के समाज में अनेक अच्छी रीतियाँ हैं, लेकिन कुछ कुरीतियाँ भी मौजूद हैं, जिनमें बाल विवाह प्रमुख है। उन्होंने कहा कि हमें शिक्षा के माध्यम से इन कुरीतियों को समाप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
बाल विवाह केवल एक कानूनी अपराध नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक अपराध भी है, जो बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को प्रभावित करता है। यह न केवल लड़कियों के लिए, बल्कि लड़कों के लिए भी हानिकारक है। हमें इस कुरीति के खिलाफ जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है और समाज में बदलाव लाने के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए।
इस अवसर पर महाविद्यालय के अन्य शिक्षकों और छात्राओं की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। डॉ. साधना जैन, डॉ. विमला मिंज, डॉ. किरण खरादी, श्रीमती सुनीता श्रीवास्तव, डॉ. अशोक शर्मा, डॉ. के.जी. सिंह, भीम बर्मन, प्रेमलाल कॉवरे, डॉ. फूलचंद कोरी, सुश्री सोनिया कश्यप, श्रीमती सृष्टि श्रीवास्तव, श्रीमती रिचा पाण्डेय, श्रीमती प्रियंका सोनी, डॉ. अपर्णा मिश्रा, डॉ. स्मिता यादव, और डॉ. अनिका वालिया इनके अतिरिक्त छात्राओं की भी उपस्थिति रही ।
इस प्रकार की प्रतियोगिताएँ न केवल छात्राओं को अपने विचार व्यक्त करने का मंच प्रदान करती हैं, बल्कि समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए भी प्रेरित करती हैं। हमें मिलकर बाल विवाह जैसे अपराधों को समाप्त करने का संकल्प लेना चाहिए, ताकि हमारे समाज में सभी बच्चों को एक सुरक्षित और उज्ज्वल भविष्य मिल सके।