ढीमरखेड़ा | शीर्षक पढ़कर दंग मत होना यह कहानी है लोगों के दिल जीतने वाले विधायक धीरेन्द्र बहादुर सिंह एवं योगेंद्र सिंह दादा ठाकुर की जो क्षेत्र के विकास में कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। तहसील क्षेत्र ढीमरखेड़ा में जुलाई माह में आई भीषण बाढ़ ने न केवल आम जनजीवन को प्रभावित किया, बल्कि क्षेत्र की बुनियादी संरचना को भी नुकसान पहुंचाया है। कई सड़कों और पुल-पुलियों के क्षतिग्रस्त होने से ग्रामीणों का जीवन कठिन हो गया है। क्षेत्रीय समस्याओं को लेकर बड़वारा विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र ने एक बार फिर इस गंभीर मुद्दे को जनप्रतिनिधियों और सरकार के समक्ष प्रमुखता से उठाया है। जुलाई 2024 में आई बाढ़ ने ढीमरखेड़ा और आसपास के क्षेत्रों की 12 से अधिक ग्राम पंचायतों को व्यापक रूप से प्रभावित किया। इन पंचायतों में घुघरा, पिपरिया शुक्ल, पोड़ीकला, बरौंदा, भमका, अतरिया, परसेल, पाली, कचनारी, लालपुर, पड़रभटा, देवरी बिछिया, पहरुआ, मढ़ाना, भटगवां, और कछारगांव छोटा शामिल हैं। बाढ़ के कारण इन पंचायतों की प्रमुख सड़कों और पुल-पुलियों को भारी नुकसान हुआ।इस मार्ग की हालत सबसे खराब है। बारिश के पानी के बहाव ने सड़क की सतह को पूरी तरह उखाड़ दिया, जिससे गांवों के बीच आवागमन लगभग असंभव हो गया। यह सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है। ग्रामीणों को बाजार, स्कूल और अस्पताल तक पहुंचने में असुविधा हो रही है। यह सड़क कई जगहों पर टूट चुकी है और बारिश के बाद कीचड़ और गड्ढों से भर गई है। इस मार्ग पर बने पुल का एक हिस्सा बाढ़ में बह गया, जिससे यह मार्ग पूरी तरह बंद हो गया है। यह मार्ग भी गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। ग्रामीणों ने वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करना शुरू कर दिया है, जो लंबा और असुरक्षित है। घुघरा में बनी पुलियां पानी के तेज बहाव में बह गईं।अतरिया और बरौंदा के बीच बना मुख्य पुल अब उपयोग लायक नहीं रह गया है। कचनारी और लालपुर के बीच की पुलिया टूटने से ग्रामीणों को दैनिक आवागमन में दिक्कत हो रही है। स्कूली बच्चों को लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है। आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं तक पहुंचना कठिन हो गया है। किसान अपनी फसलों को बाजार तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। कृषि उत्पादों की आपूर्ति में बाधा आने से ग्रामीणों की आय पर असर पड़ा है।
सिलौंडी से धीरज जैन की रिपोर्ट