रिपोर्टर : हेमंत सिंह
कटनी : छलकपट करते हुए मेरे बचत बैंक खाते से राशि 2,00,000/- अंकन दो लाख रूपये निकालनें के संबंध में कटनी पुलिस अधिक्षक कार्यालय में की गईं शिकायत जिसमे शिकायत कर्ता शिव शंकर कुमार ने लिख़त पत्र में उल्लेख किया गया, मैं आवेदक एक विकलांग, गरीब एवं कम पढ़ा लिखा ग्रामीण व्यक्ति हूँ, जो कि मजदरी का कार्य करता हूँ, मैं विकलांग एवं कंम पढ़ा लिखा होनें के कारण मुझे किसी अन्य व्यक्ति की सहायता की आवश्यकता होती है, अनावेदक को मैं जानता था, लेकिन पहचानता नहीं था, कि वह किस प्रकार का व्यक्ति हैं, एक दिन जब मैं उसके गांव गया तब मेरे मित्र नें मुझसे कहा कि
विकलांग होनें की स्थिति में यदि कोई शादी करता है तो सरकार द्वारा कुछ सहायता राशि प्रदान की जाती है। तब मैंनें कहा मुझे ऐसी कोई जानकारी मुझे नहीं है, तब उसके द्वारा मुझे बताया गया, कि मेरा मित्र सुजीत राय है, जो यह सब जानकारियां रखता है और काम भी करवाता है, तबसे मेरी पहचान सुजीत राय से हुई, सुजीत राय को मैनें अपनें विकलांगता संबंधी जितनें दस्तावेज थे, दे दिये, अनावेदक द्वारा मुझे हर क्षण विश्वास दिलाया जाता रहा कि मैं तुम्हारा काम कराकर दूंगा, मेरे द्वारा भारतीय स्टेट् बैंक बरही में एक
बचत खाता है, जिसकी कापी मैनें उन दस्तावेजों में अनावेदक को दी थी, लेकिन अनावेदक के द्वारा कहा गया, कि तुम्हारे खाते में कुछ गड़बड़ी है, इसलिये यह खाता मान्य नहीं है, तुमको दूसरा खाता खोलना पड़ेगा तब अनावेदक मुझे अपनें साथ कटनी लाकर इसाफ इस्माल फायनेंस बैंक में एक बचत खाता खुलवाया जिसका खाता कमांक-53220001466402 है। खाता खुलवानें के तीन चार महीनें बाद बैंक द्वारा मेरे पते पर चैक बुक भेजी जाती है लेकिन चैक बुक के साथ, पास बुक एवं ए०टी०एम०कार्ड, नहीं भेजा जाता है, जैसा कि मैनें आपको पहले अवगत कराया है कि मैं कम पढ़ा लिखा ग्रामीण व्यक्ति हूँ, मुझे शासकीय कार्यों के बारे में अधिक जानकारी नहीं है, इसका फायदा उठाते हुए अनावेदक नें उक्त खाते में मेरे मोबाईल नंबर के स्थान पर किसी अन्य आशीष यादव नामक व्यक्ति जिसको मैं नहीं जानता हूँ, का मोबाईल नंबर- 8349327327 दर्ज करवा दिया गया, ऐसा अनीवेदक नें सोच समझकर बनीयति से कृत्य किया है, जिससे आवेदक को भनक न लगे कि उसका पैसा बैंक खाते में कब आया और कब-कब निकल गया, आवेदक को जो शासन से 200,000/- अंकन दो लाख रूपये दिनांक-06/01/2023 को जो राशि आवेदक के खाते में जमा की गई है, वह अनावेदक के द्वारा अलग दिनांकों को ए०टी०एम० के माध्यम से दस-दस हजार रूपये निकाले गये, इस तरह 2,00,000/- अंकन दो लाख रूपये अनावेदक के द्वारा पूरी राशि का आहरण कर लिया गया। आवेदक जब शासन द्वारा प्रदत्त राशि को लेकर बैंक में पता किया गया तो हर बार बैंक के कर्मचारियों द्वारा कहा गया कि अभी नहीं आया है, थक हारकर आवेदक नें जब सी०एम० हेल्पलाईन 181 का सहारा लिया, तब उनके द्वारा बतलाया गया कि,
200,000/- अंकन दो लाख रूपये की राशि तुम्हारे उक्त बैंक खाते में दिनांक-06/01/2023 को जमा कर दी गई है, बैंक जाकर पता लगाओ, मुझ आवेदक के द्वारा जब बैंक स्टेट् मैंन्ट निकलवाया गया, तब पता चला कि, 2,00,000/- रूपये की राशि जो शासन द्वारा प्राप्त हुई थी, वह अनावेदक सुजीत राय द्वारा छलकपट एवं कूटनीति करते हुए, उस पूरी राशि को ए०टी०एम० के माध्यम से आहरण कर ली गई है। इसके बाद मैनें जब अनावेदक को फोन कर बताया कि तुमनें मेरे पूरे पैसे को निकाल लिया है, तब उसनें कहा कि मैनें नहीं मेरे छोटे भाई नें यह गलती की है, ये जो भी पैसा है, मैं तुमको दूंगा, तो मेरे द्वारा कहा गया कि, ये पूरा काम तुमनें कराया है तुम्हारे छोटे भाई को मैं जानता भी नहीं हूँ, छलकपट कर सारे. कागज तुमनें रख लिया पैसा तुम निकालते रहे, नाम छोटे भाई का लगा रहे हो, अनावेदक द्वारा आज कल आजकल का भरोसा दिया जा रहा है, लेकिन पैसे नहीं दिये, और जब मैनें उसे फोन लगाया तो फोन उसके चाचा नें उठाया, और उनके द्वारा धमकी देते हुए कहा जा रहा है कि अगर वह मर गया, या उसनें कुछ टेंशन में कर लिया, तो तुम पैसा किससे ले लोगे, मैं आवेदक जब थाना बरही में अनावेदक के विरूद्ध एफ०आई०आर० लिखवानें गया, तो थाना प्रभारी महोदय द्वारा कहागया कि, यह मामला मेरे क्षेत्राधिकार के बाहर है, इसलिये तुमं एसपी महोदय के यहां जाकर लिखित सूचना दो ।
आवेदक -शिवशंकर कुमार चौधरी पिता चन्द्रिका प्रसाद चौधरी उम्र 25 वर्ष, निवासी ग्राम बुजबुजा, थाना बरही, तहसील बरही, जिला-कटनी, म०प्र० मो०न०- 8109045057
अनावेदक :- सुजीत कुमार राय पिता नामालुम उम्र 28 वर्ष, निवासी ग्राम भरौला, जिला उमरिया म०प्र० मो0न0-9165914688
अतएव माननीय महोदयजी से निवेदन है कि, अनावेदक के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही कर मेरी राशि अनावेदक से दिलवाये जानें की कृपा की जावे ।
सल्गन
कटनी/दिनांक- 25/10/24
बैंक स्टेटमेंट की छायाप्रति
आवेदक