. सिलौंडी के छोटे हनुमान मंदिर में विशाल भंडारा और भजन संध्या का आयोजन हुआ । जिसमें नंदलाल सोनी ,संजय सोनी ,धीरज सोनी ,अमित सोनी ,सजल सोनी ने परिवार सहित मां भवानी और हनुमान जी का पूजन अर्चन कर उनको 56 भोग लगाकर आरती की ।क्षेत्र के लोगों ने विशाल भंडारे में पहुंचकर प्रसाद ग्रहण किया । शाम में संगीतमय सुंदर काण्ड के बाद जबलपुर से आए कलाकारों ने एक से एक बढ़कर भजनों से लोगों का मन मोह लिया ।यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व का था, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी अत्यधिक प्रभावशाली सिद्ध हुआ।भजन संध्या एक पारंपरिक धार्मिक आयोजन है, जिसे आमतौर के भक्तों द्वारा शक्ति, समृद्धि और शांति के आह्वान के लिए किया जाता है। और उनके प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हैं। यह टीम अपने अप्रतिम संगीत और भक्तिमय भजनों के लिए पूरे क्षेत्र में मशहूर है, और इस बार भी उन्होंने अपनी उत्कृष्टता से सभी का दिल जीत लिया।
भक्तगण अपने आप ही भक्ति के सागर में डूब गए। इस तरह के आयोजन में लोगों की भागीदारी यह दर्शाती है कि आस्था और धर्म का हमारे समाज में कितना महत्वपूर्ण स्थान है। लोग अपने दैनिक जीवन की चिंताओं और समस्याओं को भूलकर, पूरी तरह से मां भवानी की भक्ति में लीन हो गए। खासकर जब कलाकारों अपने भजनों की झड़ी लगाई, तो जनता ने भी पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ उसका समर्थन किया। जैसे ही भजन शुरू होते, लोग भक्ति भाव में झूमने लगते और कई श्रद्धालु नृत्य करते हुए दिखाई दिए। यह दृश्य किसी बड़े धार्मिक उत्सव से कम नहीं था। भजन सुनते ही जैसे पूरा माहौल धार्मिक ऊर्जा से भर गया और हर कोई हनुमान जी की कृपा का अनुभव करने लगा।
खास उपस्थ उपस उत्साह की सराहना की। और इस आयोजन में सभी ने अनुशासन और व्यवस्था का पालन किया, जिससे यह आयोजन बिना किसी विघ्न के संपन्न हुआ।
इस भजन संध्या में उपस्थित श्रद्धालु विशेष रूप से उत्साहित और भावविभोर थे।जबलपुर के कलाकारों के भजनों ने उन्हें इस तरह से प्रभावित किया कि वे भक्ति भाव में झूमने लगे। कई श्रद्धालु अपने परिवारों के साथ आए थे, और पूरे परिवार ने मिलकर देवी मां की भक्ति में हिस्सा लिया। खासकर युवाओं बच्चों और महिलाओं ने इस आयोजन में विशेष उत्साह दिखाया। भक्तों ने दीप जलाए, फूलों की माला चढ़ाई और देवी मां की मूर्ति के सामने नतमस्तक हुए। वातावरण में चारों ओर धूप और अगरबत्ती की महक फैली हुई थी, जो पूरे आयोजन को और अधिक धार्मिक बना रही थी। जिससे पूरे माहौल में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार हो रहा था।
भजन संध्या का न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी था। इस तरह के आयोजन ग्रामीण समुदायों को एक साथ लाते हैं और उनमें एकता और सामूहिकता की भावना को प्रबल करते हैं।