संवाददाता -भूनेश्वर केवट
*मंडला में ग्राम पंचायत कर्मियों एवं अंशकालीन कर्मियों ने रैली निकालकर मुख्यमंत्री के नाम दिया ज्ञापन*
कामगारों को न्यूनतम वेतन नहीं देना सबसे बडा अपराध, मोदीजी के चौकीदार भुखमरी की कगार पर: वासुदेव शर्मा
मंडला। ग्राम पंचायत में काम करने वाले कर्मचारियों ने जनपद मैदान में धरना देकर रैली निकाली और मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ग्यापन देकर न्यूनतम वेतन दिए जाने की मांग की। ग्राम पंचायत कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष शैलेष मानिकपुरी एवं मनोजकुमार उईके की अध्यक्षता में मां नर्मदा तट रपटा घाट पर धरना दिया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में आउटसोर्स, अस्थाई, अंशकालीन, ग्राम पंचायत कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा उपस्थित रहे। धरने के बाद रैली निकाली गई और कलेक्ट्रेट पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम ग्यापन दिया और न्यूनतम वेतन दिए जाने के संघर्ष को जारी रखने का निर्णय लिया। धरना प्रदर्शन में प्रेरक संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमलेश उईके,जिला सचिव संदीप गरूण भी उपस्थित रहे।
धरना प्रदर्शन को संबोधित करते हुए ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स, अस्थाई, ग्राम पंचायत कर्मचारी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने कहा कि “मैं भी चौकीदार” का नारा लगाकर वोट मांगने वाली सरकार में चौकीदार भुखमरी की कगार पर हैं, जिन्हें न तो जिंदा रहने लायक वेतन मिलता है यही स्थिति स्कूलों, छात्रावासों के अंशकालीन कर्मियों की है। इनकी नौकरी में सुरक्षित नहीं है। इनसे 2 से 5 हजार में काम कराया जा रहा है, जो अपराध है, सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन तय किया जाता है, वर्तमान में 11800 न्यूनतम वेतन है, जो हर काम करने वाले कामगार कर्मचारी को मिलना चाहिए, यह दिलाना सरकार और अधिकारियों की जिम्मेदारी है लेकिन मप्र में खुद सरकार अपने ही कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन नहीं दे रही। मंडला में ग्राम पंचायतों में कार्यरत चौकीदार, पंप आपरेटर, भृत्य, कंप्यूटर आपरेटरों, सफाई कर्मियों से 2 से 3 हजार रूपए में काम करा रही है, जो अपराध है और यह अपराध खुद सरकार, अधिकारी मिलकर कर रहे हैं। शर्मा ने कहा हम लोगों को मिलकर न्यूनतम वेतन के संघर्ष को विकसित करना होगा।
शर्मा ने कहा कि मप्र सरकार ने 20 साल से तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियां नहीं निकाली, जिस कारण लाखों कर्मचारी आउटसोर्स, अस्थाई जैसी नौकरी 2-5 हजार रूपए में करने को मजबूर है यदि सरकार ने चतुर्थ श्रेणी की भर्तियां की होती तो आप सभी सरकारी कर्मचारी होते, सरकार ने आप लोगों से सरकारी कर्मचारी कहलाने का अधिकार छीना है। शर्मा ने कहा कि जो सरकार चपरासी, चौकीदार की नौकरी नहीं दे सकती उसे सरकार कहलाने का भी कोई अधिकार नहीं है, इसलिए अब आप लोगों को आर पार का संघर्ष करना ही होगा।