कालापीपल(बबलू जायसवाल)संघ समर्पित कालापीपल विधायक घनश्याम चंद्रवंशी द्वारा विधानसभा में उठाया गया मदरसों का मामला अब पूरे प्रदेश में ही गूंज उठा है,विधायक घनश्याम चंद्रवंशी द्वारा उठाए इस मामले के बाद जबलपुर विधायक अभिलाष पांडे द्वारा इस मामले को उठाया,जिसके बाद मध्यप्रदेश सरकार भी”मदरसों को लेकर एक्शन लेने के मूड में नजर आ रही है”शुजालपुर विधायक व प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का भी कहना है कि जल्द ही कार्रवाई होगी।
बता दें कालापीपल विधायक ने हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा सत्र में वक्फ बोर्ड से संबंधित भी जानकारी मांगी थी,जिनमें कालापीपल-शुजालपुर एवं शाजापुर विधानसभा अंतर्गत वक्फ बोर्ड के पास उपलब्ध भूमि का सीमांकन कब-कब किया गया।उक्त सीमांकन में वक्फ बोर्ड के पास कितनी-कितनी भूमि उपलब्ध हैं,दस्तावेज सहित जानकारी उपलब्ध करावे। वही प्रथम सीमांकन से वर्तमान तक वक्फ बोर्ड की जमीन में कितनी वृद्धि हुई है और कितनी जमीन है।
विधायक श्री चंद्रवंशी ने मांगी यह जानकारी…!
कालापीपल विधायक घनश्याम चंद्रवंशी ने विधानसभा के मानसून सत्र में शाजापुर जिले में संचालित मदरसों को लेकर सवाल खड़े किए है। उन्होंने प्रश्न लगाया कि कालापीपल विधानसभा क्षेत्र में कितने गांवों में एवं कहां-कहां मदरसा संचालित है। उन्होंने स्थानवार, स्थापना वर्ष सहित सूची उपलब्ध कराने की मांग की तथा मदरसों में कितने विद्यार्थी अध्ययनस्त है इसकी भी जानकारी मांगी। वर्ष 2018 से 2023 तक की अवधि में शासन तथा जनप्रतिनिधियों ने कितनी-कितनी राशि इन्हें उपलब्ध कराई है।इसके साथ ही कालापीपल विधानसभा क्षेत्र में वक्फ बोर्ड द्वारा संचालित नियंत्रित मस्जिदें कितनी है। इसकी ग्रामवार जानकारी मांगी हैं।वक्फ बोर्ड के निर्माणाधीन मस्जिदों को विगत 2018 से 2023 में प्राप्त अनुदान की जानकारी मांगी हैं।शासन द्वारा दिए गए अनुदान का ऑडिट किया जाता है,ऑडिट की जानकारी बीजेपी विधायक ने मांगी हैं।विधायक अभिलाष पांडे ने अशासकीय संकल्प पेश किया
कालापीपल विधायक घनश्याम चंद्रवंशी द्वारा विधानसभा में लगाए गए प्रश्न के बाद जबलपुर से बीजेपी विधायक अभिलाष पांडे ने मध्यप्रदेश विधानसभा सत्र के पांचवें दिन अल्पसंख्यक शैक्षिणिक संस्थाओं की स्थापना-प्रबंधन का अधिकार खत्म करने का अशासकीय संकल्प पेश किया है तो दूसरी तरफ विधायक उषा ठाकुर ने मीडिया से चर्चा में कहा कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों पर सख्त कार्रवाई होना चाहिए,मदरसे में पढऩे वाले बच्चों को 10-12वीं की परीक्षा ओपन स्कूल से देनी पड़ती है।उनको समान शिक्षा का अधिकार मुहैया कराने के लिए मैंने अल्पसंख्यक संस्थाओं को धारा 30 के तहत मिलने वाली सहायता बंद करने के अशासकीय संकल्प पेश किया है।पूरा मामला गरमाता तो दिख रहा,असम,जम्मू कश्मीर देखिए,सारी दूर बच्चों को कौन सा प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे।आधुनिक तकनीकि शिक्षा के युग में उन्हें इस प्रकार की शिक्षा से जोडऩा बहुत जरुरी है,जिन्हें मदरसा बोर्ड ने अनुमति नहीं दी,जिन्हें शिक्षा विभाग की अनुमति नहीं है, वो मदरसे कैसे चल सकते हैं,शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि जो मदरसे पोर्टल पर दर्ज है,वहीं चलेंगे,जो नहीं है उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सरकारी अनुदान की जरुरत नहीं…!
इधर इस मामले के सामने आने के बाद कासिमुल उलूम बकायन तहसील कालापीपल ने जिला शिक्षा अधिकारी को एक पत्र लिखा जिसमें उल्लेख किया गया,कि मदरसे में आने वाले शिक्षक अनुदान ओर मध्यान भोजन 17 जुलाई 2021 से बंद कर दिया हैं। और तब से अब तक कोई अनुदान मिला भी नहीं हैं अब भी अनुरोध करते है कि हमें कोई सरकारी अनुदान की आवश्यकता नहीं हैं।