किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग द्वारा फसलों का बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए जिले के किसानों को अत्याधुनिक नैनो तकनीक पर आधारित नैनो डीएपी उर्वरक का उपयोग करने के लिए लगातार प्रेरित किया जा रहा है। इसी क्रम में उपसंचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास श्री रवि आम्रवंशी ने किसानों को नैनो डीएपी की आवश्यक जानकारी देते हुए इसके लाभ एवं उपयोग करने की विधि से अवगत कराया। श्री आम्रवंशी ने बताया कि नैनो डीएपी तरल सामान्य डीएपी की एक बोरी के बराबर लाभदायक होती है। 5 सौ मिलीलीटर की मात्रा के साथ नैनो डीएपी की एक बॉटल का मूल्य 6 सौ रुपए है जबकि परंपरागत डीएपी की एक बोरी की कीमत 1 हजार 350 रुपए है। नैनो डीएपी का उपयोग करने से किसान प्रतिबोरी 750 रुपए की बचत कर सकते हैं। साथ ही बीज उपचार एवं फसलों पर छिड़काव द्वारा फसलों का बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
किसान कल्याण एवं कृषि विकास रवि आम्रवंशी ने बताया कि नैनो डीएपी के कण 100 नैनोमीटर से भी कम होते हैं। जो पौधों के बीज, जड़ की सतह, पत्तियों के स्टोमेटा एवं अन्य छिद्रों के माध्यम से आसानी से पौधों में प्रवेश कर जाते हैं। नैनो डीएपी के उपयोग से पौधों की ओज शक्ति में वृद्धि होती है और पत्तियों में क्लोरोफिल अधिक बनता है।जिससे प्रकाश संश्लेषण अधिक होता है और फसलों की गुणवत्ता और उपज में भी इजाफा होता है। श्री आम्रवंशी के मुताबिक नैनो डीएपी तरल में नाइट्रोजन एवं फास्फोरस क्रमशः 8 एवं 16 प्रतिशत होता है। परम्परागत डीएपी में पौधों द्वारा नाइट्रोजन उर्वरक का 30 से 40 प्रतिशत भाग ही उपयोग किया जाता है एवं बचा हुआ शेष भाग मिट्टी, हवा और पानी को प्रदूषित करता है। नैनो डीएपी का फसल पर सीधे उपयोग करने से पर्यावरण को नुकसान नहीं होता और पौधों को आवश्यक पोषण प्राप्त होता है। नैनो डीएपी से बीज उपचार करने के बाद फसल की क्रांतिक अवस्थाओं में एक या दो पत्तियों में छिड़काव करने से परम्परागत डीएपी के प्रयोग में 50 प्रतिशत तक कटौती की जा सकती है।
नैनो डीएपी के लाभ
उपसंचालक श्री आम्रवंशी ने किसानों को नैनो डीएपी के फायदों की जानकारी देते हुए बताया कि यह सभी फसलों में नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस मुहैया कराने का प्रभावी स्त्रोत है। खड़ी फसलों में नैनो डीएपी का स्प्रे करने से नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस की कमी को दूर किया जा सकता है। यह बीज उपचार के रूप में जल्दी अंकुरण एवं पौध बढ़वार, फसल बढ़वार, उपज एवं गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक है। साथ ही इसके प्रयोग से परम्परागत फॉस्फेटिक उर्वरकों के अत्याधिक प्रयोग होने वाले से मृदा, जल एवं वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अनुकूल परिस्थितियों में उपयोग करने पर नैनो डीएपी 90 फीसदी से अधिक दक्ष है। साथ ही यह जैव सुरक्षा एवं पर्यावरण हितैषी होने के कारण विषमुक्त कृषि के लिये उपयुक्त उत्पाद है। नैनो डीएपी का परिवहन एवं भण्डारण अत्यंत सरल है। इसका उपयोग करना भी बहुत आसान है। नैनो डीएपी परम्परागत डीएपी से सस्ता होने के कारण किसानों के लिए किफायती भी है।
नैनो डीएपी प्रयोग की विधि
उपसंचालक आम्रवंशी ने किसानों को नैनो डीएपी द्वारा बीजों का उपचार करने एवं फसलों पर छिड़काव कर बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए इसके उपयोग की विधि से भी अवगत कराया। उन्होंने बताया कि किसानों को बीजोपचार करने के लिए 5 मिलीलीटर नैनो डीएपी का प्रयोग प्रति किलो बीज की दर से करना चाहिए। बीज में एक समान घोल की परत बनाने के लिये उसमें आवश्यक्तानुसार पानी भी मिलना चाहिए एवं 20 से 30 मिनट तक उपचारित बीजों को छांव में सुखाने के बाद ही बोनी करना चाहिए। श्री आम्रवंशी ने जड़ कंद उपचार के संबंध में नैनो डीएपी तरल का उपयोग करने की विधि को बताते हुए किसानों से 5 मिलीलीटर नैनो डीएपी का प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाने की सलाह दी। उन्होंने इस घोल में जड़ कंद को 20 से 30 मिनट तक भिगोकर रखने एवं छाया में सुखाने के बाद ट्रांसप्लोर करने की बात कही।
श्री आम्रवंशी ने बताया कि फसलों पर छिड़काव के लिए 4 मिलीलीटर नैनो डीएपी का प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसलों में क्रांतिक अवस्था कल्ले या शाखा बनते समय छिड़काव करना सुलभ होता है। लम्बी अवधि वाली या अधिक फॉस्फोरस की आवश्यक्ता वाली फसलों में फूल आने से पहले की अवस्था में एक अतिरिक्त छिड़काव किया जा सकता है। श्री आम्रवंशी के मुताबिक एक बोरी परंपरागत डीएपी की कीमत 1 हजार 350 रुपए है एवं एक बॉटल नैनो डीएपी की कीमत मात्र 600 रूपये है। इस प्रकार किसान एक बॉटल नैनो डीएपी का उपयोग कर एक बोरी परम्परागत डीएपी के बराबर फसल उत्पादन में लाभ के साथ ही साथ प्रतिबोरी 750 रुपये की भी बचत कर सकते हैं।