रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। नगर पालिका परिषद नर्मदापुरम में जनता के टैक्स वसूली की राशि सहित राजस्व शाखा से जारी रसीदों और राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी कर किए गए गबन संबंधी गंभीर शिकायत की जांच जनवरी 2024 से भारी दबावों के बीच चलती हुई नजर आ रही है। जनता से टैक्स वसूली सहित राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी की गंभीर शिकायत की जांच जो 15 दिवस में होकर नगर पालिका सीएमओ तक पहुंचनी थी, वह जांच आज भी 3 माह से ज्यादा समय हो जाने के बावजूद बदस्तूर जारी है। नपा सीएमओ हेमेश्वरी पटले ने बताया कि हमने पुनः जांच के आदेश दिए हैं जिसके लिए एक टीम का गठन भी किया है। उक्त टीम को 15 मई तक अपनी कार्यवाही कर जांच प्रतिवेदन सौंपना है। अवगत हो कि पूर्व सीएमओ नवनीत पांडे ने शिकायतकर्ता सहायक राजस्व निरीक्षक उद्देश्य गौर द्वारा राजस्व शाखा से जारी रसीदों, कंप्यूटर शाखा से जारी की गई संपत्ति कर की रसीदों एवं उक्त राशि निकाय में जमा करने सहित राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी कर गबन किए जाने संबंधी गंभीर शिकायत पर सहायक लेखा अधिकारी देवेंद्र सिंह बघेल को जांच कर 15 दिवस में अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया था। इसके बाद यह मामला मीडिया की सुर्खियां बना और इस मामले की गूंज नगरीय प्रशासन मुख्यालय भोपाल तक भी पहुंची। जब जांच अधिकारी द्वारा नोटिस जारी किए गए तो इसके बाद से ही कर्मचारियों में खासी हलचल मच गई और मामले में भारी दबाव की बात भी चर्चा में चल निकली। उसके बाद से ही पूर्व सीएमओ पांडे कर्मचारियों के निशाने पर भी हो गए थे। जिसके कारण जांच काफी धीमी गति से चलने लगी। सूत्रों के अनुसार सूत्रों की माने तो जनता के टैक्स वसूली राशि राजस्व शाखा के जवाबदार कर्मचारियों की गई संपत्ति कर की रसीदों सहित निकाय में उक्त राशियों को जमा करने के संबंध में पूरा खेल हुआ है। उपभोक्ताओं से राशि लेकर रसीद में जो अमाउंट भर कर दिया जाता है वह निकाय के खाते में पूरा जमा नहीं किए जाने की बात भी सामने आई है। जिसमें नर्सिंग होम, गार्डन, स्कूल, मंगल भवन, व्यवसायिक परिसर जैसे बड़े टैक्स दाताओं के खातों में हेराफेरी की बात सुर्खियों में आ रही है जो गंभीर जांच का विषय रही है। यह बात भी सुर्खियों में आई कि विगत वर्षों में कॉलोनी में भवन निर्माण के लिए दी जाने वाली एनओसी में भी खेल हुआ है। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि इसी दौरान चल रहे दबाव के बीच पूर्व सीएमओ ने उनको स्थानांतरित किए जाने के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों से गुहार लगाई थी। यही कारण रहा कि उनके कार्यकाल में उनके ही आदेश का 15 दिवस में जांच प्रतिवेदन का पालन नहीं हुआ और आदेश देने वाले सीएमओ को ही शासन ने यहां से हटा दिया परंतु जांच अधूरी रह गई।