रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। नर्मदापुरम जिले में कुछ वर्षों से तीसरी फसल को लेकर किसानों द्वारा गेहूं ,चना की फसल कटाई के साथ ही खेत में बची नरवाई को आग के हवाले कर दी जाती है। नरवाई की आग लगाए जाने से कई जगहों पर खड़ी हुई फसलों में भी आग लगने की घटना हो जाती है। पूर्व में कई जिंदगियां मौत के आगोश में समा चुकी है। प्रशासन द्वारा रवि फसल की कटाई के दौरान आगजनी की घटना को रोकने, लोक शांति और सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए नरवाई जलाने के संबंध में दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश दिए हैं
उसके बावजूद किसानों द्वारा खेत में नरवाई को जलाने का कार्य बेखौफ किया जा रहा है। जिससे वातावरण में वायु प्रदूषण हो रहा है , आम लोगो की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। वही लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है, आंखों में जलन हो रही है। जिला प्रशासन के जवाबदार अधिकारीयो द्वारा कठोर कार्रवाई नहीं किए जाने से नरवाई की आग बेखौफ खेतों में जलाई जा रही है।
आज एक और घटना सामने आई है जब नरवाई की आग से किसान द्वारा खेत में लगाए सागौन के वृक्ष जल गए। नरवाई की आग ने किसान के सागौन के प्लांटेशन को जलाकर नष्ट कर दिया। ग्राम आरी के किसान गौरव ने बताया मंगलवार को नरवाई की लगी आग प्रशासन के असहयोग के चलते मेरे खेत तक पहुंच गई और मेरे खेत में लगे सागौन के प्लांटेशन को जलाकर नष्ट कर दिया। उन्होंने बताया कि इस घटना को लेकर जब डायल 100 के द्वारा फायर बिग्रेड के सहयोग की मांग की तो उन्होंने अन्य जगह लगी आग के चलते उपलब्ध कराने में असमर्थता जताई । वहीं आस पास की पंचायतों से पानी के टैंकर के उपलब्ध कराने की मांग की तो वह साहयोग उपलब्ध नहीं करा पाए । न ही आस पास की पंचायत के जिम्मेदार कर्मचारियों के नंबर भी उपलब्ध नहीं करा पाए। गौरव ने करीब चार लाख कीमत की सागौन की लकड़ी जलने का अनुमान बताया है। वहीं उन्होंने कहा ईश्वर का शुक्र है कि आग आगे नहीं बढ़ी वरना करीब सौ सागौन के पुराने कटे पेढ़ का स्टॉक जलने से बच गया जिसकी अनुमति प्रशासन के पास विगत 2015 से लंबित पड़ी है। उन्होंने मांग की है कि पंचायत स्तर पर भी आग बुझाने के प्राथमिक संसाधनों की व्यवस्था भी प्रशासन अनिवार्य रूप से करे जिससे नागरिकों का आगजनी से होने वाली क्षति से बचाया जा सके।