कालापीपल(बबलू जायसवाल)निजी स्कूल वाले हमेशा ही अपनी मनमानी पर उतारू रहते हैं।सरकार इन पर कितने भी प्रतिबंध लगाए लेकिन वहां तो अपनी मर्जी का ही काम करते है।यादि शाजापुर कलेक्टर सुश्री त्रजु बाफना बारीकी से जांच करें तो लग-भग जिले के आधे स्कूलों की मान्यता रद्द हो जाएगी।निजी स्कलों द्वारा पालकों को कोर्स की किताबें,यूनिफार्म और अन्य शिक्षण सामग्री किसी निर्धारित दुकान से खरीदने के लिए दबाव डालने पर होंगी कार्रवाई,स्कूल शिक्षा विभाग ने जिला कलेक्टरों को जारी किया पत्र और मध्यप्रदेश निजी विद्यालय फीस अधिनियम के तहत कार्रवाही को कहा गया।
इस अधिनियम के तहत स्कूल संचालक पर हो सकता है दो लाख तक जुर्माना…।
पत्र में बताया गया है…विषयांतर्गत विभिन्न माध्यमों से शासन के संज्ञान में आया है कि कतिपय स्कूल प्रबंधन एवं प्राचार्य द्वारा एनसीईआरटी/एससीईआरटी से संबंधित पुस्तकों के साथ अन्य प्रकाशकों की अधिक मूल्य की पुस्तकें एवं अन्य सामग्री क्रय करने हेतु पालकों पर अनुचित दबाव बनाया जाकर विषयवार एनसीईआरटी / सीबीएसई/एससीईआरटी मुद्रित व निर्धारित पाठ्यक्रम की पाठ्य पुस्तकों के स्थान पर अन्य प्रकाशकों की पाठ्य पुस्तकों को चयन कर अभिभावक को दुकान विशेष/निर्धारित स्थान से पाठ्य पुस्तकों व अन्य शैक्षिक सामग्री अथवा यूनिफार्म करने हेतु अप्रत्यक्ष रूप से बाध्य किया जा रहा है।2/इस संबंध में कृपया म.प्र.निजी विद्यालय (फीस तथा अन्य संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम,2017 की धारा 6 एवं 9 तथा म.प्र.निजी विद्यालय(फीस तथा अन्य संबंधित विषयों का विनियमन) नियम 2020 के नियम 6 एवं 9 को संज्ञान में लिया जाये। म.प्र.निजी विद्यालय (फीस तथा अन्य संबंधित विषयों का विनियमन)नियम 2020 के नियम 6 (1)(घ) में स्पष्ट उल्लेख है कि निजी विद्यालय प्रबंधन द्वारा छात्र या अभिभावक को पुस्तके,यूनिफार्म,टाई,जूते,कॉपी आदि केवल विक्रेताओं से क्रय करने के लिए औपचारिक अथवा अनौपचारिक किसी भी रूप में बाध्य नही किया जाएगा।छात्र या अभिभावक इन सामग्रियों को खुले बाजार से क्रय करने के लिए स्वतंत्र होंगे।अतःउक्त आशय की शिकायते प्राप्त होने की स्थिति में नियम 2020 के नियम 9 में वर्णित प्रकिया का पालन करते हुए संबंधित विद्यालय के विरूद्ध आवश्यक शास्ति अधिरोपित करने की कार्यवाही की जाय।