सहकारी समितियां में हो रहे घोटालों पर नकेल कसने के लिए मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग द्वारा एक ऐतिहासिक आदेश में प्रदेश में अनाज का उपार्जन और राशन दुकानों का संचालन करने वाली सभी सहकारी समितियां को तत्काल प्रभाव से आरटीआई अधिनियम के अधीन लाया गया है। वही इसी आदेश मे राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने राशन की दुकानों पर कार्य करने वाले सेल्समैन के वेतन संबंधी गड़बड़ी उजागर होने पर प्रदेश के सभी सेल्समैन की वेतन संबंधी जानकारी जिले के पोर्टल पर स्वतः प्रदर्शित करने के निर्देश भी जारी किए हैं।
सहकारी समितियां पर जारी इस अहम आदेश में सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि खाद्यान्न उपार्जन एवं पीडीएस का संचालन करने वाली सहकारी समितियों के सूचना का अधिकार अधिनियम के अधीन आने से प्रदेश में खाद्यान्न उपार्जन एवं पीडीएस के संचालन में भ्रष्टाचार निरोधी, पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित होने के साथ इस व्यवस्था के लिए जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों की जनता के प्रति जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी। किसानों के द्वारा अक्सर खाद्यान्न उपार्जन और खाद, बीज की व्यवस्था में अनियमितताओं की शिकायत की जाती है पर सहकारी समितियां की व्यवस्था पारदर्शी नहीं होने की वजह से किसानों की समस्याओं का निराकरण नहीं हो पाता है। सहकारी समितियां में अक्सर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की ख़बरें भी आती है। सिंह ने कहा कि अब RTI में इन सरकारी समितियां का कच्चा चिट्ठा अब जनता के सामने होगा।
रीवा के RTI एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी जिनकी अपील पर यह कार्रवाई हुई है ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि राहुल सिंह ने सहकारी समितियां को आरटीआई के दायरे में लाकर प्रदेश के किसानों और आम नागरिकों और सामान्य तौर पर समितियों के हितग्राहियों के साथ बहुत बड़ा न्याय किया है। अब तक सहकारी समितियां किसानों को उनके केसीसी कर्ज ब्याज अनुदान उपार्जन राशन एवं अन्य खाद बीज आदि की जानकारी उपलब्ध नहीं कराती थी और स्वयं आरटीआई कानून के दायरे के बाहर होना बताया करती थी।