ज्ञानेंद्र इंदौरकर खमरा की खास रिपोर्ट*
बिछुआ खमरा उपस्वास्थ्य केंद्र खमरा में जिम्मेदार अधिकारी न होने के कारण मनमर्जी से खुलता एवं बंद होता है हॉस्पिटल करोड़ों रुपये की लागत से बने सरकारी आवास खडहर हो गए है। एक तरफ गरीब परिवार एक छत के लिए जीवन भर तरसते हैं वहीं दूसरी तरफ विकासखण्ड बिछुआ के खमरा उप स्वास्थ्य केंद्र में करोड़ों रुपये की लागत से तैयार हुए आवासों में रहने के लिए कर्मचारी और अधिकारी तैयार नहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा बनाए गये आवासों में कभी कोई कर्मचारी रहने ही नहीं आया। ऐसे में समय की मार से आवास खंडहर होने लगे हैं।
बता दे बिछुआ खमरा स्वास्थ विभाग में कार्यरत अधिकारियों-कर्मचारियों के रहने के लिए खमरा करोड़ो रुपये से अधिक की लागत से आवास बनाए गये हैं। परंतु अधिकारी कर्मचारी जिले से आवागमन कर रहे हैं आवासों में डाक्टर, डेसर अन्य कर्मचारियों के लिए कई तरह के आवास तैयार किए गये हैं। साथ ही समस्त के लिए भी अवास बनाए गये परंतु इनमें रहने के लिए अधिकारी-कर्मचारी नही आये जिसके चलते यहा पर सरकारी आवास धीरे-धीरे अब खंडहर की ओर तब्दील हो रहा है.इसी तरह सामूदायिक स्वास्थ्य केंद्र खमरा के कर्मचारियों चिकित्सकों के लिए आवास बनाए गये है। बनने के बाद से इनमें भी कोई रहने के लिए नहीं आया है।।एक तरफ जिले के कलेक्टर शीलेंद्र सिंह अतिक्रमण व अन्य मामले पर काफी सख्त दिखाई देते किंतु इन लापरवाह अधिकारी-कर्मचारी के अपडाउन पर क्या जिले के कलेक्टर ऐसे बेपरवाह अधिकारी-कर्मचारियों के अपडाउन पर अंकुश लगा पायेंगे या इसी तरह सिस्टम जारी रहेगा या इसी तरह करोड़ो कि बिल्डिंगे खस्ताहाल होते रहेगी, इन्हीं अधिकारियों एवं कर्मचारियों की तानाशाही से गरीब जनता को झोलाछाप डॉक्टरों की शरण लेनी पड़ रही है.