उपार्जन समितियों को वित्तीय हानि से उबारने संकटमोचक बने कलेक्टर
बीते साल तक समितियों का 11 करोड़ रुपए से अधिक की वित्तीय हानि अब कम होकर 42लाख में सिमटी
जिले में उपार्जन के इतिहास में पहली बार गेहूं उपार्जन में नहीं हुई कोई घट
कटनी। शासन द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर उपार्जित धान और गेहूं में साल-दर-साल घटी की वजह से करीब 11 करोड़ 28 लाख रूपये के वित्तीय नुकसान का दंश झेल रही जिले की करीब 64 उर्पाजन समितियों के लिये कलेक्टर श्री अवि प्रसाद संकटमोचक बन गये। कलेक्टर के भागीरथी प्रयासों की बदौलत समितियों के दिन बहुरे हैं और समितियों ने पूरी मजबूती से सशक्तिकरण की दिशा में कदम बढ़ाया है।
कलेक्टर श्री प्रसाद को उर्पाजन कार्य की समीक्षा के दौरान जिले में खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में धान के 64 उर्पाजन केन्द्रों मेें करीब 56 हजार 60 क्विंटल की रिकार्ड घटी होने की जानकारी पता चली । इसके कारणों की विस्तृत तहकीकात करने पर मालुम हुआ कि उपार्जित स्कंध के परिवहन में हेरा-फेरी और उपज की सूखत को मिलाकर बड़ी मात्रा में घटी होती है। इतनी बड़ी मात्रा में घटी से मात्र वर्ष 2021-22 में समर्थन मूल्य पर केवल धान खरीदी के बाद हुई घटी से, समितियो पर करीब 10 करोड़ 87 लाख रूपये का वित्तीय भार पड़ा। इसी प्रकार रबी विपणन वर्ष 2022-23 में समर्थन मूल्य पर गेहूॅं खरीदी के दौरान घटी करीब 1998 क्विंटल रही, जिसका शासन से तय समर्थन मूल्य लागत 40 लाख 25 हजार रूपये रहा। इस प्रकार दोनों घटी को मिलाकर उर्पाजन समितियां को 11 करोड़ रूपये से अधिक की वित्तीय हानि पहुंची। इस घटी को नियंत्रित करने कलेक्टर श्री प्रसाद ने उपार्जित स्कंध का परिवहन शत-प्रतिशत तौल कराने के बाद ही करना अनिवार्य कर दिया।
जिले के उर्पाजित स्कंध में परिवहन के दौरान होने वाली घटी तथा उर्पाजन केन्द्र पर सूखत से होने वाली घटी को नियंत्रित करने कलेक्टर श्री प्रसाद ने खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में उपार्जित स्कंध का शत-प्रतिशत तौल कराने के बाद ही स्कंध का परिवहन करने पर सख्ती से अमल कराया।जिससे खरीफ वर्ष 2022-23 में जिले में धान की घटी कम होकर केवल दो हजार 196 क्विंटल रह गई। जिसका मूल्य 42 लाख 60 हजार रूपये है।
जिला विपणन अधिकारी अमित तिवारी ने बताया कि शत-प्रतिशत तौल के बाद ही उपार्जित स्कंध का परिवहन कराने के कलेक्टर श्री प्रसाद के इस एक निर्णय के बेहतर नतीजे सामने आये और दिलचस्प रुप से घटी में बड़ी तेजी से कमी आई। जिससे समितियों की बांछे खिल गईं,और तो और जिले के उर्पाजन के इतिहास में यह पहली बार हुआ जब वर्ष 2023-24 में गेहूॅं उर्पाजन में एक दाने की भी कोई घटी नहीं हुई। जो एक रिकार्ड है।
कलेक्टर श्री प्रसाद द्वारा उर्पाजन कार्य की नियमित समीक्षा और उर्पाजन केन्द्रों के निरंतर किये गये भ्रमण से मिले इनपुट के बाद अमल में लाई गई कार्ययोजना की वजह से जिले में सहकारी और विपणन समितियॉं सहकारिता आंदोलन के उद्देश्य की पूर्ति हेतु विकास के नये सोपान गढ़ने उद्यत है।कलेक्टर के दूरदर्शी प्रयासों के सहकार से समितियां दिन-व-दिन मजबूत होंगी।
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