रिपोर्ट चंद्रिका यादव चंदौली
*(प्रेम के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं- शालिनी त्रिपाठी)*
बबुरी। स्थानीय क्षेत्र के बौरी ग्राम सभा में मानस प्रचार सेवा समिति द्वारा चल रहे चौंतीसवें वर्ष के दूसरे दिन मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी ने सती प्रसंग व शिव पार्वती विवाह के प्रसंग दौरान कहां कि जब शिवजी अगस्त ऋषि के आश्रम से राम कथा सुन सती के साथ लौट रहे थे, इसी दौरान पत्नी के वियोग में रोते- बिलखते राम के दर्शन हो गए। शिव जी ने उनके स्वरूप को पहचान प्रणाम किया और उन्हें सच्चिदानंद कहां। जिस पर जगदंबा को संदेह हो गया और वह सीता का वेष बनाकर राम की परीक्षा ली। राम ने उन्हें सीता वेष में भी पहचान लिया। पूछने पर शिव जी से झूठ बोली कि मैंने कोई परीक्षा नहीं ली। भगवान शिव सत्य को जान गए और सती के परित्याग का संकल्प लिया । वहीं 87हजार वर्षों की समाधि में चले गए। समाधी टूटने के बाद सती जिद कर बिना निमंत्रण अपने पिता दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में जाकर अपमानित हुई और योगाग्नि में अपना शरीर भस्म कर लिया । सती का दूसरा जन्म हिमालय के घर मैना के गर्भ से हुआ। पार्वती जी ने घोर तपस्या की जिसके बाद शिव जी ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। कथा के दौरान कथा वाचीका ने कहां कि राम कथा का आनंद तभी है , जब वक्ता और श्रोता दोनों सूर ,लय, ताल मिलाकर कथा का रसपान करें। प्रेम प्रकट हो जाए तो परमात्मा खुद प्रकट हो जाएंगे । प्रेम के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं है। उन्होंने कहा कि शरीर की भूख तो भोजन करके हर कोई मिटा लेता है , लेकिन आत्मा की भूख भी मिटाना जरूरी है और आत्मा का भोजन भजन है। केवल और केवल भजन के द्वारा ही हम आत्मा की भूख को तृप्त कर सकते हैं। वही कथा के दौरान “सत्संगत से प्यार करना सीखो जी” भजन पर श्रद्धालु झूम उठे। इस दौरान श्री राम कथा समिति के आयोजक वीरेंद्र सिंह हरिवंश सिंह पटेल, गुलाब चंद्र तिवारी, मनोज, राजू, दधिबल सिंह, सहित सैकड़ो श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।