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भूत प्रेत हमेशा से ही जिज्ञासा का विषय रहा है. मानव के क्रियाकलाप अचानक बदल जाते हैं और वह ऐसी हरकत करने लगते हैं. जिसे आम व्यक्ति सोच भी नहीं सकता. इसी तरह की हरकतों को आदिवासी ग्रामीण अंचलों में भूत प्रेत का साया माना जाता है. मनुष्य के शरीर से ऐसे ही प्रेत बाधाओं को दूर करने के लिए पड़िहार और तांत्रिक पूजा पाठ करते हैं. जिसमें मुर्गी-मुर्गियों से लेकर बकरा तक की बलि दी जाती है. माना जाता है कि ऐसी पूजा करने से शरीर में व्याप्त बुरी शक्तियां खत्म हो जाती हैं.
छिंदवाड़ा जुन्नारदेव के तालखमरा के आदिवासी अंचल में लगने वाले इसी तरह के एक अनोखे मेले को भूतों का मेला कहा जाता है ।
*संवाददाता शुभम सहारे छिंदवाड़ा*