विदिशा जिला ब्यूरो मुकेश चतुर्वेदी
कल से पितृ पक्ष प्रारंभ होगा संपूर्ण भारतवर्ष में पितृ पक्ष में श्रद्धालु अपने पूर्वजों को पवित्र नदी के तट पर पहुंचकर तीली कुशा डाव से आमंत्रित करेंगे सोलह दिनों तक तर्पण ब्राह्मण भोजन के द्वारा पितरों को तृप्ति किया जावेगा श्राद्ध के विषय में पंडित के सब गुरु जी ने बताया श्रद्धापूर्वक जो पितरों को दिया जाता है उसे श्रद्ध कहते हैं शास्त्र में शिराध के पांच प्रकार कह गए हैं प्रतिदिन तर्पण एवं बली वैश्य देव जिसमें गाय कुत्ता अतिथि को अन्य दिया जाता है इसको नित्य श्रद्ध कहा जाता है इच्छित कार्य को करने के लिए जो श्रद्धा होता है वह काम में श्राद्ध है पुत्र जन्म विवाह आदि अवसर पर किए जाने वाले श्रद्धा को वृद्धि श्रद्धा एवं पितृ पक्ष में होने वाले श्रद्धा को पवन श्रद्धा कहा जाता है श्राद्ध करने से पूर्वज संतुष्ट होते हैं शास्त्र में कहा गया है साधन की प्राप्ति अलग है लेकिन साधन से सुख मिलन अलग बात होती है संपत्ति एवं संतान दोनों पितरों के द्वारा इनका सुख इन साधनों का सुख हमको मिलता है आजकल पितरों के विषय में बड़ी भ्रांति है लेकिन विज्ञान ने इस भ्रांति का कुछ समाधान कर दिया है धर्म की दृष्टि से पितर लोक चंद्रलोक से ऊपर है यहां 15 दिन का एक दिन एवं 15 रात्रि की एक रात्रि मानी गई है शास्त्र ने 12 सूर्य की अलग-अलग अपनी आकाशगंगा है जिसमें चंद्र आदि ग्रह है चंद्रलोक से दक्षिण में पितर लोक ऊपर की ओर है इस प्रकार इसमें हम सबको हम सबको भ्रांति बनी है लेकिन आज का विज्ञान भी अनुमान लगा रहा है अंतरिक्ष में कहीं मानव जीवन हो सकता है इस न्याय से पितृ लोग होना भी शास्त्र सम्मत है आपने बताया पितरों का जन्म भले ही हो जावे लेकिन पितरों के अधिष्ठात्री देवता विश्वे देवता कहे जाते हैं यह जीवात्मा के प्रत्येक जन्म का लेखा-जोखा रखते हैं फिर वहां आत्मा चाहे पशु योनि पक्षियों ने वृक्ष यानी कीट पतंग योनि में अपने कर्म अनुसार जावे उसे श्राद्ध में दिए जाने वाली पंचवली जिसमें गे कुत्ता गौ वृक्ष कौवा अतिथि इनको जो अन्य दिया जाता है विश्व देवता उसको पितर जी योनि में होते हैं वायु के द्वारा सर को पितरों तक पहुंचाते हैं अतः निश्चित ही अपने पितरों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन ज्ञापित करने यह 16 दिन का पितृपक्ष माना गया है