रिपोर्टर दुर्ग सिंह यादव
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा मध्य प्रदेश के बीना में भारत पेट्रोलियम की रिफाइनरी में डाउनस्ट्रीम पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स और रिफाइनरी विस्तार परियोजना की आधारशिला रखने के बाद इस क्षेत्र में प्रगति के नए सौंपान स्थापित होंगे। पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स के शिलान्यास समारोह में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, श्री हरदीप सिंह पुरी केंद्रीय मंत्री पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, केंद्रीय सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री श्री वीरेंद्र कुमार, केंद्रीय जल शक्ति नियोजन राज्य मंत्री श्री प्रहलाद पटेल आदि की गरिमामय उपस्थिति देखी गई। इस अवसर पर भारत सरकार, मध्य प्रदेश सरकार और बीपीसीएल (भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड) के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
इस प्रकार 49,000 करोड़ रुपए की लागत से दूसरी सबसे बड़ी भारतीय तेल विपणन कंपनी और भारत की प्रमुख एकीकृत ऊर्जा कंपनियों में से एक भारत पेट्रोलियम अपनी क्षमता को 11 एमएमटीपीए तक ले जा सकेगी। साथ ही 1.2 एमएमटीपीए क्षमता का पेट्रोकेमिकल प्लांट विकसित करेगी। बीपीसीएल अपनी बीना रिफाइनरी को रसायनों और पेट्रोकेमिकल्स के लिए ग्लोबल मैन्यूफेक्चरिंग हब में बदलने के लिए तैयार है। पूरी परियोजना 5 वर्षों में पूरी होगी और यह न केवल मध्य प्रदेश में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देगी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत मिशन को और तेजी से आगे बढ़ाने भी सहायक साबित होगी। यह सामाजिक- आर्थिक विकास को भी बढ़ाएगी और लगभग एक लाख से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करने में मदद करेगी। एथिलीन क्रैकर कॉम्प्लेक्स अन्य बीपीसीएल समूह रिफाइनरियों से अधिशेष नेफ्था के साथ-साथ बीना रिफाइनरी से नेफ्था, एलपीजी, केरोसिन इत्यादि जैसे कैप्टिव फीड स्टॉक पर आधारित होगा।
पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स 2,200 किलो टन ग्रेड का उत्पादन करेगा। देश के साथ-साथ बीना रिफाइनरी इकोनॉमिक जोन में बेहतर मांग को देखते हुए, एलएलडीपीई, एचडीपीई और पीपी जैसे पॉलिमर उत्पादों को परियोजना में शामिल करने पर विचार किया गया है। पॉलिमर के अलावा, कॉम्प्लेक्स से एरोमैटिक्स (बेंजीन, टोल्यूनि और मिश्रित ज़ाइलीन) का उत्पादन होगा। यह परियोजना केंद्र सरकार के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को साकार करने में योगदान देना है, क्योंकि रसायन और पेट्रोकेमिकल्स क्षेत्र को प्रमुख योगदानकर्ताओं के रूप में पहचाना गया है। यह परियोजना इम्पोर्ट सबस्टीट्यूशन के माध्यम से प्रति वर्ष 20,000 करोड़ रुपए के विदेशी मुद्रा व्यय को बचाएगी।अगले कदम के रूप में, बीपीसीएल परियोजना के लिए प्रोसेस यूनिट्स और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंस्लटेंट्स के लिए टैक्नोलॉजी लाइसेंसर्स को अंतिम रूप दे रहा है।
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