रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। जिले में राजनीतिक संरक्षण प्राप्त रसूखदार रेत माफिया इस कदर हावी है कि जनवरी 2021 में जिले में तवा नर्मदा सहित सहायक नदियों पर मौजूद 118 रेत खदानों का 262 करोड रुपए में ठेका लेने वाली छत्तीसगढ़ कोरबा की आरकेटीसी कंपनी भी यहां अपना व्यवसाय नहीं कर सकी। मामला उच्च न्यायालय में लंबित होकर रह गया है। वर्तमान में नर्मदापुरम जिले में कोई भी रेत खदान शासन से स्वीकृत नहीं है जहां पर अब रसूखदार रेत माफिया हावी हो गए हैं, रात होते ही खदानों पर रेत माफिया सक्रिय हो जाते है और दिन होते ही खदानों पर सन्नाटा पसर जाता है। मुख्यालय पर रेत का अवैध कारोबार कमाई का बड़ा जरिया बन चुका है। यही कारण है कि रेत माफियाओं ने अपने गुर्गे भी खदानों पर तैनात कर दिए हैं, जिनको पुलिस प्रशासन का भी खौफ नहीं रह गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार रात को करीब एक बजे प्रभारी शहरी तहसीलदार शक्ति श्री तोमर अपने राजस्व अमले सहित खनिज विभाग की टीम और होमगार्ड जवानों के साथ 2 गाड़ियों में बंद पड़ी निमसाडिया रेत खदान पर पहुंचे। जहां देखा कि करीब 7-8 डंपर खदान पर मौजूद थे । वही रेत खदान के पास सड़क पर रेत से भरा एक डंपर कंक्रीट सड़क किनारे फंसा हुआ मिला। जिसे प्रशासन की टीम को देखकर ड्राइवर छोड़ कर भाग गया था। इसी दौरान रेत माफियाओं सहित उनके गुर्गों ने प्रशासन की टीम को घेर लिया ऐसा सूत्रों ने बताया। जहां सूत्र यह भी बताते हैं गाली गलौज और बहस और धमकी जैसी घटना भी हुई। इस घटना में किसी जितेंद्र का नाम आ रहा है। जिसके बाद 100 डायल को कॉल कर पुलिस को बुलाया गया। स्थिति गंभीर होती देख सड़क पर रेत से भरे डंपर को लेकर देहात थाने राजस्व और खनिज टीम का अमला पहुंचा। रात करीब 5:00 बजे देहात टीआई संजय चौकसे को घटना की जानकारी दी गई। सूत्र बताते हैं कि इसी दौरान रेत से भरा जप्त किया डंपर को भी रसूखदार रेत माफिया के गुर्गे सुबह 7:30 के लगभग मंडी प्रांगड़ से लेकर फरार हो गए। जिसके बाद यह पूरी घटना पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों पर भी पहुंच गई। उल्लेखनीय है कि कुछ वर्ष पूर्व तत्कालीन एसडीओपी और तहसीलदार द्वारा नर्मदा पुलघाट पर भी छापामार कार्यवाही की गई थी, तब गोली चलने जैसी घटना हुई थी। तत्संबंध में प्रभारी तहसीलदार शक्ति श्री तोमर से जानकारी ली गई तो उनके द्वारा बताया गया कि देर रात खनिज विभाग की टीम के साथ निमसाड़ियां रेत खदान पर छापामार कार्यवाही की गई थी। जप्त किए रेत से भरे डंपर को अज्ञात लोग लेकर भाग गए हैं खनिज विभाग को कार्यवाही के लिए कहा गया है। वहीं छापामार कार्यवाही में शामिल खनिज विभाग के सर्वेयर कृष्णकांत ने बताया कि मामले में प्रकरण दर्ज करने के लिए प्रतिवेदन तैयार किया जा रहा है वरिष्ठ अधिकारी के दिशा निर्देशन में कार्यवाही के लिए थाने में आवेदन दिया जाएगा। वहीं सूत्रों की माने तो घटना के दौरान खनिज निरीक्षक को छापामार कार्यवाही में फील्ड पर जाना था परंतु उनका स्वास्थ्य खराब होने से उनकी जगह पर सर्वेयर को भेजा गया। बड़ा सवाल भी खड़ा होता है कि जब रात में रसूखदार रेत माफियाओं के खदान में सक्रिय होने की सूचना थी तो फिर पुलिस को सूचना देकर छापामार कार्यवाही में शामिल क्यों नहीं किया गया? यह भी सवाल खड़ा होता है कि ज़ब्त किए गए डंपर को देहात थाने में अभिरक्षा में क्यों नहीं सौंपा गया ? सूत्र बताते हैं कि डंपर को कृषि मंडी परिसर में ले जाया जा रहा था उसी दौरान रेत माफियाओं के रसूख के चलते डंपर गायब करवा दिया गया? पूरे घटनाक्रम को लेकर यह बात भी चर्चा में आ रही है कि तहसीलदार के नेतृत्व में हुई छापामार कार्रवाई में इतनी बड़ी घटना घट जाती है, उसके बावजूद दिनभर FIR एफआईआर दर्ज नहीं कराई जा सकी? जिस पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि किसी रसूखदार नेता के दबाव के चलते फिलहाल दिनभर कार्यवाही नहीं की गई? और मीडिया से भी पूरे मामले को दबाने का प्रयास किया गया। मामले में कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि वह घटना की जानकारी लेकर कार्यवाही के निर्देश देंगे।