रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। जिस सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की पहचान बाघों से है यदि
बाघ का सिर काटकर ले गए शिकारी तो वन्यप्राणी कैसे हो सकते है यहां सुरक्षित। इसी एसटीआर के जंगल में बाघ बेधड़क मौत के घाट उतारे जा रहे है और जिम्मेदार सच छिपाते रहे।
आपको बताते दे कि पिछले दिनों सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की चूरना रेंज के डबरादेव इलाके में एक बाघ का क्षत विक्षत शव मिला था। इस मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है जिसे एसटीआर के जिम्मेदार अफसर दबाने के लिए 3 दिन से कोशिश करते रहे। जिस बाघ का शव क्षत- विक्षत मिला था उसका शिकार किया गया था और सिर काटकर अलग कर दिया गया था। टाइगर स्टेट मप्र में एक बार फिर से बाघ के शिकार की घटना ने जिम्मेदारों की लापरवाही को उजागर कर दी है। और तो और बाघ की गर्दन का अब तक कुछ पता नही चला है बाघ की मौत कैसे हुई? इस वजह को बताने से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के अफसर बचते रहे। इस मामले में शासन को प्राथमिकता से लापरवाही करने वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई करना थी मगर अब तक विभागीय जिम्मेदारों पर उक्त घटना की जिम्मेदारी ही तय नही हो पाई है।
तीन दिन बाद बोले अफसर –
एसटीआर के उपसंचालक संदीप फेलोज ने बाघ के शिकार होने की पुष्टि तीन दिन बाद की है। उनके मुताबिक बाघ का सिर काटा गया है। टाइगर स्ट्राईक फोर्स विवेचना कर रही है। एसटीएफ और एसटीआर की टीम कुछ संदिग्धों से पूछताछ भी कर रही है। तंत्र-मंत्र क्रिया के लिए टाइगर के शिकार कर गर्दन काटने की आशंका भी जताई जा रही है।
जब रोजाना गश्त तो शिकार कैसे हुआ संभव बड़ा सवाल..?
एसटीआर में टाइगर के शिकार की पुष्टि होने के बाद अब सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा को लेकर बड़े सवाल उठ रहे हैं । विभाग रोजाना गश्त के दावे करता है तो आखिर कैसे एसटीआर की सुरक्षा में चूक हुई? कैसे शिकारी एसटीआर के कोर एरिए में घुसकर बाघ का शिकार कर भाग गए? पांच दिन बाघ का शव मिलना रोजाना की गश्त को कटघरे में खड़ा कर रहा है।
सच को दबाने फोटो नही किया सार्वजनिक –
26 जून सोमवार को चूरना रेंज के डबरादेव बीट में गश्त टीम को बाघ का शव मिला था। सूचना मिलते ही एसटीआर के सभी वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे थे। शव क्षत-विक्षत अवस्था में पाया गया था जो कि लगभग 5-7 दिन पुराना था। डॉग स्क्वाड की मदद से क्षेत्र की तलाशी की गई, आसपास खोज करने पर मृत्यु संबंधी साक्ष्य नहीं पाए गए। क्षेत्र संचालक, उप संचालक तथा एनटीसीए के प्रतिनिधि की उपस्थिति में वन्यप्राणी चिकित्सक दल द्वारा बाघ का पोस्टमार्टम एनटीसीए के प्रोटोकोल अनुसार किया गया। स्थानीय अमले के अनुसार बाघ काफी समय से इसी क्षेत्र में अपना इलाका बनाकर रह रहा था। परीक्षण के लिए पोस्टमार्टम के दौरान बाघ के अवयवों को एकत्रित कर लिया गया, जिसके बाद बाघ के शव को सभी वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में एनटीसीए के प्रोटोकोल अनुसार जला दिया गया। विभागीय अधिकारियों ने शव के फोटो सार्वजनिक नहीं किए क्योंकि तभी विभागीय लापरवाही उजागर हो जाती।
– एल कृष्णमूर्ति, क्षेत्र संचालक एसटीआर का कहना है कि बाघ का शिकार किया गया है और बाघ का सिर भी काटा गया है। एसटीएफ ने मौका स्थल का निरीक्षण कर विवेचना शुरू की है। एसटीआर से लगे भातना समेत कुछ गांवों में तलाश जारी है। कुछ संदिग्ध व्यक्तियों से पूछताछ भी कर रहे है।