रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम/ सोहागपुर। वाणासुर की नगरी श्रोणितपुर कहलाने वाली नगरी सोहागपुर आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर चर्चा का केन्द्र बनी हुई है। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर दावेदार प्रत्याशियों के बीच भाग दौड़ शुरू हो चुकी है। सूत्रों के अनुसार प्रत्याशी चयन को लेकर भाजपा का अंदरूनी सर्वे भी शुरू हो चुका है, वहीं कांग्रेस में प्रदेश स्तर पर फीडबैक लिया जा रहा है। नर्मदापुरम जिले की महत्वपूर्ण सोहागपुर विधानसभा सीट पर विशेष निगाहें है कि इस बार प्रत्याशी कौन होंगे? इस बार माना जा रहा है कि यहां पर आगामी चुनाव में स्थानीय एवं बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा भी रहेगा। सोहागपुर विधानसभा पूर्व में देनवा विधानसभा कही जाती थी। जिसमें विनयकुमार दीवान लगातार जीत का परचम लहराते रहे। 1977 के बाद देनवा विधानसभा को क्रमशः पिपरिया, इटारसी एवं होशंगाबाद में विभक्त कर दिया गया। इससे इस क्षेत्र के नागरिक होशंगाबाद पर निर्भर हो गए। पिछले चुनावों पर नजर की जाए तो इटारसी के कांग्रेस नेता अंबिका प्रसाद शुक्ला होशंगाबाद एवं ग्राम पाटनी (बाबई) मधुकरराव हर्णे होशंगाबाद एवं (मारागांव) सविता दीवान शर्मा ने विजयश्री हासिल की थी। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद से सोहागपुर विधानसभा अस्तित्व में आई और यहां से भाजपा के नर्मदापुरम निवासी विजयपालसिंह प्रत्याशी बनाये गए। जिन्होंने क्रमशः कांग्रेस के स्थानीय प्रत्याशी मेहरबानसिंह पटैल को 16541 मतों से पराजित किया था। वहीं 2013 में कांग्रेस के स्थानीय प्रत्याशी रणवीरसिंह पटेल को 28891 मतों से पराजित किया । कांग्रेस ने 2018 में पिपरिया के पूर्व विधायक अर्जुनलाल पलिया के सुपुत्र सतपाल पलिया को मैदान में उतारा। उनके लिए क्षेत्र नया था। वहीं कांग्रेस की मत भिन्नता के कारण सतपाल पलिया को हार का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने विधायक विजयपालसिंह के प्रचंड जीत के रथ को रोक दिया था। कांग्रेस नेता सतपाल पलिया के भरसक प्रयासों के बाद सोहागपुर विधायक विजयपाल सिंह 11 हजार 417 मतों से चुनाव जीत पाए थे। सूत्रों की माने तो सोहागपुर विधानसभा निर्मित होने के बाद तीनों ही चुनावों में कांग्रेस की आपसी अंदरूनी खींचतान को भाजपा की विजयश्री का एक कारण माना गया है। दूसरा विधायक बनने के बाद निरंतर क्षेत्र में सक्रियता। इस बार सोहागपुर विधायक विजयपाल सिंह का नाम नर्मदापुरम से भी चल रहा है। इस बार विधानसभा चुनाव में जुलाई – अगस्त माह में संपन्न हुए नगरीय निकाय चुनाव, ग्राम पंचायत चुनाव का असर भी पड़ने की प्रबल संभावना जताई जा रही है, नाराज कार्यकर्ताओं का भी सामना करना पड़ेगा। वहीं चर्चा यह भी है कि नगर परिषद के चुनाव के पूर्व इशारों से चले अतिक्रमण का बुलडोजर भी प्रभावित करेगा। चर्चा है कि उस दौरान कई जगहों पर तो अतिक्रमण के निशान लगाकर छोड़ दिए गए थे। भारी कशमकश के बीच भाजपा ने विजयश्री हासिल की थी। वैसे नगर परिषद का इतिहास रहा है कि यहां पर कांग्रेस ने ही जीत का इतिहास रचा। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में अजेय पूर्व नपाध्यक्ष संतोष मालवीय की पत्नी पूर्व नपाध्यक्ष शशि मालवीय भी मामूली अंतर से पराजित हो गई। इसके उपरांत नपाध्यक्ष चुनाव की जो रणनीति बनी जो सोहागपुर के इतिहास में कभी भुलाई नहीं जा सकेगी। उसी के चलते सोहागपुर क्षेत्र एवं आसपास के इलाकों में इस बार क्षेत्र में स्थानीय प्रत्याशी की मांग बलवंती होती जा रही है। यही कारण है इस बार सोहागपुर विधायक विजयपालसिंह के लिए भी राह आसान नहीं होना बताई जा रही है। वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में पराजित होने के बाद से लेकर अभी तक कांग्रेस के प्रत्याशी रहे सतपाल पलिया ने लगातार सोहागपुर विधानसभा के हर ग्रामों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मीय संबंध बना लिए हैं। इधर कांग्रेस की पूर्व विधायक सविता दीवान शर्मा का नाम भी सोहागपुर विधानसभा से दावेदारी में प्रमुखता से चल रहा है। आप भी निरन्तर विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं, निरंतर कार्यक्रमों में शामिल हो रही है। सोहागपुर विधानसभा के मारागांव की बेटी के रूप में आपकी अलग पहचान है। जिला कांग्रेस अध्यक्ष पुष्पराज पटैल का नाम भी सोहागपुर क्षेत्र में प्रमुखता से लिया जाता है। कांग्रेस आलाकमान ने जिला अध्यक्ष पद पर पदस्थ कर पुष्पराज पटेल को महत्वपूर्ण जवाबदारी सौंपी है। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने नर्मदापुरम जिले की चारों विधानसभा क्षेत्रों से भाजपा की सीटों पर विजय पाने की तरफ कदम बढ़ा लिए हैं। यदि कांग्रेस को नर्मदापुरम जिले से विधानसभा सीटों पर विजयश्री प्राप्त होती है तो नर्मदापुरम नरसिंहपुर संसदीय क्षेत्र से पुष्पराजसिंह पटैल को सांसद का टिकट मिलने से इनकार नहीं किया जा सकता। पिछले चुनावों के परिणाम से तीसरी बार प्रदेश नेतृत्व शायद ही सोहागपुर विधानसभा से किसी गुर्जर समाज के व्यक्ति पर दाव खेले। क्योंकि कांग्रेस की सोच है कि प्रदेश से कम से कम 150 सीटों पर कांग्रेस विजयी हो। बहरहाल कांग्रेस पार्टी किस को अपना प्रत्याशी घोषित करती है यह समय ही बताएगा। इधर हम यदि भाजपा की बात करें तो हाल ही में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा के हाथों से प्रदेश खिसक गया है । जिसके कारण इस पराजय के दूरगामी परिणाम निकलने की संभावनाएं बढ़ चली हैं। सूत्रों की मानें तो भाजपा प्रदेश नेतृत्व के अलावा भी भाजपा हाईकमान ने जीत सकने वाले उम्मीदवारों की बारीकियों से अध्ययन करके सीधे रिपोर्ट लिए जाने की ख़बर सुर्खियों मे है। बताया जाता है जिसमें करीबन 30 प्रतिशत से अधिक नवीन चेहरों पर भाजपा फोकस करने पर जीत 200 पार की तैयारी कर कर रही है। सूत्रों के अनुसार दो,तीन सर्वे के आधार पर अगर भाजपा पुराने प्रत्याशियों पर ही दांव खेलती है तो विधानसभा से भाजपा के हाथों से डोर खिसकने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता ? हालांकि सूत्र बताते हैं कि क्षेत्रीय विधायक विजयपाल सिंह सोहागपुर से ही चुनाव लड़ेंगे और वह क्षेत्र में निरंतर सक्रिय बने हुए हैं। जबकि उनका नर्मदापुरम विधानसभा से भी आगामी चुनाव लड़ने को लेकर सक्रियता देखी जा सकती है, क्षेत्र में भी वह कार्यक्रमो में सक्रिय दिख रहे हैं, नर्मदापुरम उनका गृह क्षेत्र भी है। आगामी विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच दावेदारों को लेकर सोहागपुर विधानसभा से भाजपा से एक नाम विशाल गोलानी का भी प्रमुखता से आ रहा है। गोलानी परिवार भाजपा का कट्टर समर्थक माना जाता है। बताया जाता है कि क्षेत्र में भाजपा की डोर थामने वाले पितृषुरूष स्वगीर्य लक्ष्मणदास गोलानी ने कांग्रेस सरकार के विरुद्ध लगातार कई आंदोलन किए थे। वहीं जनता जनार्दन की सहायता को हमेशा तत्पर रहते थे। उसको आज भी क्षेत्र की जनता भुला नहीं पाई है। उनके पुत्र हीरालाल गोलानी ( वरिष्ठ पत्रकार) 1977 से निरंतर उनकी निष्पक्ष लेखनी से जनमानस के बीच अलग पहचान बना चुके हैं। आपके जनहितैषी कार्यों को नहीं भूला जा सकता है। गोलानी परिवार भी आमजन की मदद को सदैव तत्पर रहता है। वहीं उनके पुत्र विशाल गोलानी बचपन से ही संघ और भाजपा की विचारधारा से जुड़े हुए हैं। आप स्वदेशी जागरण मंच के जिला संयोजक भी रह चुके हैं। बनखेड़ी में विस्तारक की भूमिका भी निभा चुके हैं और संगठन की गतिविधियों सहित संघ से भी जुड़े हुए हैं। विशाल गोलानी विगत कई वर्षो से एक नाम शहीदों के नाम राष्ट्रीयता से ओतप्रोत अंतर जिला विद्यालयीन कार्यक्रम करवाते आ रहे हैं। वहीं हाल ही में नगर के एक प्रतिष्ठित निजी स्कूल फीस को लेकर करीबन 8 महीनों के संघर्ष के बाद फीस का मामला अभिभावकों के पक्ष में आया है। स्थानीय प्रत्याशी में उनका नाम संभावित उम्मीदवार के रूप में कहा जा रहा है। इसके अलावा कुछ और नाम भी विधानसभा क्षेत्र में आ रहे हैं। फिलहाल पार्टी का अंदरूनी सर्वे जारी है और पार्टी की गाइडलाइन अभी तक प्रत्यक्ष रूप से प्रत्याशी चयन को लेकर सामने नहीं आई है। ऐसे में अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी प्रत्याशी कौन होगा? फिलहाल आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक चर्चाओं के बीच जो नाम प्रमुखता से सामने आ रहे हैं उनकी सक्रियता विधानसभा क्षेत्र में देखी जा सकती है। पार्टी प्रत्याशी को लेकर अंतिम निर्णय संगठन की मुहर पर निर्भर होगा? फिलहाल भाजपा और कांग्रेस दोनों से ही प्रबल दावेदार प्रत्याशी क्षेत्र में सघन जनसंपर्क अभियान में जुट गए हैं और निजी कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं।