रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। शासकीय नर्मदा कॉलेज में अमृत महोत्सव और नई शिक्षा नीति के संदर्भ में सेमिनार और भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। जिसका उद्देश्य भारत की प्राचीन ज्ञान विज्ञान की परंपरा और शिक्षा पद्धतियों के तुलनात्मक अध्ययन से छात्रों को परिचित कराना रहा। मध्यप्रदेश के विकास में युवाओं की भूमिका विषय पर भाषण प्रतियोगिता रखी गई। विद्यार्थियों ने रुचि पूर्वक अपने भाषण प्रस्तुत किए ।प्रतियोगिता में पुलकित दुबे प्रथम, आशुतोष पारे द्वितीय,सौम्या गुरु तृतीय एवं सुमेर सिंह ने विशेष पुरस्कार के रूप में स्थान प्राप्त किया। विजेताओं को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। प्राचार्य डॉ ओ एन चौबे ने विजेता विद्यार्थियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय ज्ञान परंपरा और समृद्ध विचारों का संग्रह है।हमारी शिक्षा नैतिक, भौतिक, आध्यात्मिक और राष्ट्रीय मूल्यों पर केंद्रित है ।इसका उद्देश्य युवाओं को देश और समाज के दायित्वों से जोड़ कर आत्मनिर्भर बनाना है। डॉ के जी मिश्र सेमिनार के मुख्य वक्ता रहे। ‘भारतीय ज्ञान परंपरा’ विषय पर व्याख्यान देते हुए उन्होंने ज्ञान और कौशल को जीविकापार्जन का आधार बताया। उन्होंने बताया कि भारतीय शिक्षा चरित्र निर्माण के साथ व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के उद्देश्य पर आधारित रही है। हमारे गौरवशाली नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय विभिन्न विषयों और आचार्यों के कारण विश्वविख्यात थे। वर्तमान में नई शिक्षा नीति व्यवहारिकता के मूल्यों से निर्मित और रोजगार परक है। संयोजक डॉ हंसा व्यास, प्रभारी डॉ कल्पना विश्वास ने भी शिक्षा नीति के साथ युवाओं की भूमिका और मध्य प्रदेश का विकास विषय पर अपने वक्तव्य प्रस्तुत किए ।संचालन डॉ दिनेश श्रीवास्तव तथा आभार डॉ अर्पणा श्रीवास्तव का रहा। डॉ कुमुदिनी गार्गव, , डॉ रीना सक्सेना ,डॉ सुधा दुबे, कु शबनम कुरैशी सहित अत्यधिक संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।