नेशनल साइंस डे 28 फरवरी 2023 पर विशेष :
शान के लिये नहीं बल्कि जान के लिये पहना जाता है स्पेससूट ,स्पेस में जीवन देता है स्पेससूट : सारिका घारू
सीमा कैथवास की रिपोर्ट नर्मदापुरम। विद्याविज्ञान के अंतर्गत सारिका घारू का खगोलविज्ञान जागरूकता कार्यक्रम साइंस डे के अवसर पर स्कूली छात्राओं को स्पेशसूट के बारे में बताया गया। भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान में चंद्रयान, मंगलयान की सफलता के बाद अब गगनयान की तैयारियां जारी है। इसमें अंतरिक्षयात्री द्वारा पहने जाने स्पेससूट सिर्फ मोटे कपड़े नहीं है बल्कि ये मानव के आकार का लघुयान की तरह होता है । सिर्फ मोटा सूट न समझें स्पेससूट को सारिका घारू नेशनल अवार्ड प्राप्त सारिका घारू
ने स्पेससूट का साइंस समझाया। सारिका ने बताया कि स्पेससूट दो प्रकार के होते है । पहले का उपयोग धरती से अंतरिक्ष में जाने और फिर लौटने के लिये किया जाता है। दूसरा स्पेसवॉक के लिये उपयोग किया जाता है। सारिका ने बताया कि स्पेससूट में कपड़ा में लगभग 300 फीट पानी की नलियों को बुना जाता है। इनमें अंतरिक्षयात्री की त्वचा के पास ठंडा पानी बहता हे। स्पेससूट का अंतरिक्ष से नाता बताया सारिका ने , स्पेससूट में दस्ताने इस प्रकार होते हैं कि उंगलियां अच्छे से हिला सकें। इनमें हीटर लगे होते हैं जो उंगलियों को गर्म रखते हैं। स्पेससूट के लचीले हिस्से 16 लेयर से बने होते हैं। अगली परतें थर्मस की तरह तापमान को बनाये रखती है। सबसे बाहरी सफेद परत जल तथा अग्नि प्रतिरोधी तथा बुलेट पू्रफ मटेरियल होता है। स्पेससूट के पीछे एक बैकपैक होता है जिसमें उपकरण लगे होते हैं। सारिका ने बताया कि इसमें ऑक्सीजन देने और कार्बनडाईआक्साईड को हटाने के यंत्र , बिजली प्रदान करने का यंत्र पानी ठंडा करने के लिये चिलर, पंप, होते हैं। हेलमेंट के नीचे एक आडियो सिस्टम में इयरफोन और माइक्रोफोन होते हैं। हेलमेंट मजबूत प्लास्टिक का बना होता है इसमें सूरज की तेज किरणों से बचाने सुरक्षा फिल्टर लगा होता है।
तो समझे स्पेससूट का साइंस और लक्ष्य निर्धारित करे स्वयं को स्पेससूट के साथ अंतरिक्ष की सैर का।
क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय विज्ञान दिवस –
सारिका ने बताया कि सर चंद्रशेखर वैंकट रमन ने 28 फरवरी 1928 को अपनी महत्वपूर्ण खोज रमन प्रभाव को सार्वजनिक किया था। उनकी इस खोज के लिये 1930 में उन्हें भौतिकी क्षेत्र में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनकी इस कामयाबी को याद रखने के लिये भारत में प्रत्येक वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। 2023 की थीम ‘वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान है। पहला साइंस डे 28 फरवरी 1987 को मनाया गया था। इसको मनाने का उद्देष्य सर सी वी रमन को सम्मान देने के साथ आम लोगों को विज्ञान के प्रति जागरूक करना, विज्ञान का महत्व को समझाना , बच्चों को विज्ञान के कैरियर के रूप में चुनने के लिये प्रोत्साहित करना है।