विभाग द्वारा नाबालिकों से खुदवाये जा रहे प्लांटेशन में गढ्ढे, खखरी निर्माण,गड्ढे खुदाई में कम रेट देकर भृष्ट कर्मचारियों के द्वारा गरीब मजदूरों का किया जा रहा शोषण।
दक्षिण वन मंडल पन्ना के वन परिक्षेत्र पवई अपने नए नए कारनामों से आए दिन सुखियों में रहता है, अभी कुछ ही दिनों पहले ऐसा ही मामला वन परिक्षेत्र पवई के मगरपुरा वीट का देखा गया था, और एक नया मामला सामने आया जो नाबालिकों से भी खुदवाये जा रहे गढ्ढे, मामला
वन परिक्षेत्र पवई के अंतर्गत कैमुरिया वीट में पौधा रोपण के लिए गड्ढे खुदाई का कार्य चल रहा है जिसमें नाबालिकों से भी गढ्ढे खुदवाये जा रहे है जिससे कि कम मजदूरी देकर राशि बचाई जा सके और भृष्ट अधिकारियों का पेट भर सके मजदूरों से कम रेट पर कार्य कराया जाता है इतना ही नहीं बीट गार्ड एवं सहायक
वन परीक्षेत्र अधिकारी के द्वारा किस तरह मजदूरों का शोषण किया जाता है कि जिसका कारण है कि वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा गरीब मजदूरों से कम रेट पर खखरी लगवाई गई जिसका प्रति मीटर-55/-₹ दिया गया वही पर 1×1-गढ्ढे की खुदाई कुल-06/-रुपये दिया जाता है जो कि रेट लगभग-10/- रुपये है वही डेढ़×डेढ़ के गड्ढे की खुदाई-8 रुपये दी जाती है जिसका रेट लगभग-12/-रुपये है लेकिन अधिकारी कुंभ कर्ण की नींद में सोये हुए है पहले वन विभाग के अधिकारियों को अपनी जेब में भरना है फिर मजदूरों को देना है इस संबंध में जब मीडिया कर्मियों द्वारा मौके पर कार्य कर रहे मजदूरों से बात की गई तो मजदूरों ने बताया कि छोटे गड्ढे का 6 रुपए एवं बड़े गड्ढे का 8 रुपए दिया जा रहा है जबकि शासन से और कुछ निर्धारित दर है प्रति गड्ढे खुदाई कि दर क्या है नही बताई जाती जो कार्य आरडीएफ के तहत कार्य कराया जा रहा है जिसमें मजदूरों को निर्धारित मापदंडों के तहत राशि का भुगतान नही जा रहा जबकि शासन के सख्त निर्देश है कि मजदूरों के खाते में ही भुगतान करना है लेकिन जब भ्रष्टाचार कर्मियों से भ्रष्टाचार की गई राशि बचे तब मजदूरों को दें आखिर कब तक इनकी भ्रष्टाचारी चरम सीमा पर चलती रहेगी या कुछ कार्रवाई होगी या मजदूरों का शोषण ही होता रहेगा किसी तरह इन भ्रष्ट कर्मचारियों को संरक्षण देकर बढ़ावा दिया जाएगा इस संबंध में जब मीडिया कर्मियों ने वीट गार्ड गौरव दीक्षित कैमुरिया से बात की तो उन्होंने बाहर होना बताया वही सहायक वन परीक्षेत्र अधिकारी आर.पी.पटेल से जानकारी लेना चाही तो उन्होंने जानकारी ना होने की बात कहकर डिडगिड़ाते रहे,और उन्होंने कहा ये सब हमारे उच्च अधिकारी रेंजर साहब ही इन सभी कार्यो का रेट तय करते है ,वहीं इससे अंदाजा लगाएं कि जब संबंधित अधिकारी को कार्य क्षेत्र में हो रहे कार्य की जानकारी ही नहीं तो फिर किस तरह का कार्य होता होगा आप ही अंदाजा लगाएं।
रिपोर्टर संतोष चौबे