सीमा कैथवास की रिपोर्ट –
इटारसी । केसला आदिवासी ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम माना साकई के देवता को उठाकर ले जाने का मामला देश की सुर्खी बन गया। यह अपने तरह का अनोखा मामला है। आदिवासी बहुल क्षेत्र में जिनके देवता स्थान से उठाए गए और जो देवता को उठाकर लेकर गए दोनों पक्षों को पथरौटा थाने बुलाया गया। जानकारी के मुताबिक तय हुआ कि देवता अब बागरा तवा के पास बसे ग्राम नया माना साकई 02 में स्थापित होंगे। पहले यह तिलक सिंदूर के पास नया माना साकई 01 में तिलक सिंदूर के पास विराजमान थे। पूरी कहानी ऐसी ही कि आदिवासी समाज के युवा संगठन के आकाश कुशराम ने बताया कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से जब माना साकई ग्राम विस्थापित हुआ था तो वह दो हिस्सों में विस्थापित हुआ। कुछ परिवार बागरा तवा के पास नया माना साकई 02 में जाकर बसे और कुछ परिवार तिलक सिंदूर के पास नया माना साकई 01 में विस्थापित हुए। उस वक्त विस्थापित होकर आए समाज के नागरिकों ने नया माना साकई 01 के पास शिवधाम तिलक सिंदूर में स्थापित कर दिया था। उस दौरान सहमति थी जब तक ग्राम नए सिरे से बस नही जाते, उस समय तक तिलक सिंदूर में देवता रहेंगे। अभी हुआ यह कि बागरा तवा के पास विस्थापित हुए परिवारों ने आकार देवता उनके यहां ले गए। विवाद उसी पर हुआ। तिलक सिंदूर के पास विस्थापित हुए ग्राम के नागरिक इस पर आपत्ति ले रहे थे। आदिवासी समाज का भलावी वर्ग अभी पथरौटा थाने में आया हैं। जहां तहसीलदार राजीव कहार, एसडीओपी महेंद्र सिंह चौहान, थाना प्रभारी संतोष सिंह चौहान सभी को समझा रहे हैं।
समझाइस के बाद आकाश कुशराम ने बताया कि अब समझौता यह हुआ कि देवता बागरा तवा के माना साकई में जायेंगे। विवाद अलग अलग ग्राम का नहीं था, एक ही ग्राम के एक ही कुटुंब के लोगों का था। जो अब ठीक हो गया है ।