सीमा कैथवास की रिपोर्ट –
नर्मदापुरम । जिला अधिवक्ता संघ के सचिव मनोज जराठे ने बताया कि आज सभी अधिवक्तागण न्यायालयीन कार्य से विरत रहे । विरत रहने की वजह बता कि माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा विचारण न्यायालय में 100 प्रकरण, चिन्हित प्रकरण में से प्रत्येक चिन्हित प्रकरण के शीघ्र निराकरण किए जाने के निर्देश/ आदेश को पुनः विचार कर निर्देश वापस लेने के लिए 28 जनवरी शनिवार को सभी अधिवक्तागण न्यायालयीन कार्य से विरत रहे और माननीय उच्च न्यायालय द्वारा अधिवक्ताओं की मांग पूर्ति पूरी नहीं की गई तो, प्रदेश स्तर पर न्यायालयीन कार्य से विरत रहने का कम से कम 5 दिन या 7 दिन या
फिर अनिश्चितकालीन कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई। इस दौरान अधिवक्ताओं की सभा भी रखी गई जिसका संचालन अधिवक्ता संघ अध्यक्ष केके थापक ने किया। वरिष्ठ अधिवक्ता एसएस ठाकुर, वीके चौहान, सुबोध तिवारी, प्रशांत तिवारी, राजीव दुबे, अधिवक्ता संघ उपाध्यक्ष अखिलेश मिश्रा, सहसचिव सुरेंद्र सिंह राजपूत सभी ने अपने अपने विचार व्यक्त किए। और कहा अधिवक्ता ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय के इस कदम से पक्षकारों को न्याय प्राप्त नहीं हो पा रहा है और इस परेशानी के लिए मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद जबलपुर के भी पदाधिकारियों को भी जिम्मेदार बताया गया । और कहा गया कि यह लोग सिर्फ चुनाव के समय वोट लेने आते हैं, फिर हम अधिवक्ताओं को भूल जाते हैं, अपने स्वार्थ के लिए अधिवक्ताओं को नए-नए प्रलोभन देते हैं, कोई कुर्सी वितरित करता है, कोई डायरी भेंट करता है, और सभी अपने स्वयं के लाभ के लिए कार्य कर रहे हैं, इन्हें अधिवक्ताओं की दुख तकलीफ से कोई मतलब नहीं है। इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र परसाई, श्रीमती सरिता दुबे, प्रदीप तिवारी, प्रकाश पचौरी, प्रदीप मिश्रा, आनंद शर्मा, हेमेंद्र सिंह ठाकुर, राजेश अग्रवाल, नितेश गौर, एसआर सोनी, कल्पेश दुबे, रामकुमार दुबे, दिलीप तिवारी, मुनेंद्र, जितेंद्र कौशिक, अनिल गौर, आदेश वर्मा, आदित्य तिवारी, अमित गुबरेले,अनंत गौर, जितेंद्र गौर, भूपेंद्र वर्मा, दिलीप ठाकुर, राकेश शर्मा, राजेश मालवीय, अभिषेक दिक्षित और भी अन्य अधिवक्ता उपस्थित रहे। सभी अधिवक्ताओं का आभार जिला अधिवक्ता संघ सचिव मनोज जराठे ने व्यक्त किया है।