भालूमाड़ा— गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर क्षेत्र के जाने-माने कवि प्रलेश कार्यसमिति के सदस्य मोहम्मद यासीन के द्वारा कवि गोष्ठी का आयोजन अपने निज निवास पर किया गया जहां जमुना कोतमा क्षेत्र के वरिष्ठ लेखक साहित्यकार कवि युवा शायर एवं अनूपपुर से भी प्रलेश कार्यसमिति के सदस्यों का आगमन हुआ।
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर समस्त कवियों साहित्यकारों ने सबसे पहले देश के उन वीर सपूतों को नमन किया जिन्होंने अपने प्राणों का त्याग कर इस देश को स्वतंत्र कराया इस देश को आजादी दिलाई और जिन्होंने इस देश में संविधान के माध्यम से पूरे देश को एक सूत्र में पिरोया उन्हें जोड़ा काव्य गोष्ठी में मुख्य रूप से देश के वीर सपूतों का गुणगान कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया गया कुछ लोगों ने देश भक्ति गीत गाकर लोगों को मंत्रमुग्ध किया कार्यक्रम में क्षेत्र के वरिष्ठ शायर लेखक मकबूल अहमद दर्द वरिष्ठ शायर कवि कैसर अली श्रीमती अनुराधा गहरवार दादू लाल गोविंद वर्मा सफी अहमद युवा शायर अविनाश अग्रवाल आरएन पांडे अतिथियों में गिरीश पटेल कोल माइंस एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह विनोद कुमार सेन त्रिपाठी जी प्रलेश के कोतमा इकाई के अध्यक्ष देवेश प्रताप सिंह गहरवार चुन्नीलाल शिशुपाल सिंह प्रतिपाल सिंह अफजल भाई अनवर भाई मीडिया से अनूपपुर से आए आनंद पांडे संतोष चौरसिया शैलेंद्र विश्वकर्मा एवं छोटे कवि व गायक के रूप में बेटी रहनुमा जन्नत ने भी अपने गीत के माध्यम से सभी को मोहित किया।
युवा गायक निखिल डेहरिया ने देश भक्ति गीत गाकर अपनी प्रतिभा दिखाई वही क्षेत्र के जाने-माने हास्य कवि मोहब्बत सफी ने भी अपनी कविता के माध्यम से आज की राजनीतिक परिस्थितियों का बखूबी आईना दिखाया तो वहीं वरिष्ठ कवि कोदूलाल ने 26 जनवरी के साथ-साथ बसंत के आगमन पर अपनी कविता की प्रस्तुतीकरण लिए हाथ के रूप में कवि शफी अहमद ने एवं देश के प्रति अपनी जान कुर्बान करने वाले राष्ट्र भक्तों के प्रति कवित्री अनुराधा गहरवार ने कविता पाठ के साथ-साथ सुंदर गीत की प्रस्तुतीकरण किए क्षेत्र के सबसे वरिष्ठ शायर कैसर अली ने गीत प्रस्तुत किए कार्यक्रम के समापन में जाति मान शायर कवि मकबूल अहमद दर्द इनका स्वास्थ्य भी अच्छा नहीं था फिर भी गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए अपनी राष्ट्रभक्ति कविता और गीत का पाठ किए जो अत्यंत ही सराहनीय रहा उनकी दो लाइने आज भी सबके जहन में है “” यह तिरंगा 2 गज का कपड़ा नहीं है”
गोष्ठी कार्यक्रम का कुशल संचालन युवा शायर कवि यासीन खान यासीन ने किया और अपनी तेजतर्रार शब्दों से आज के परिवेश में हो रहे उन तमाम बातों को कविता के माध्यम से प्रस्तुत किए जो लोग धर्म के नाम पर राजनीति के नाम पर जात पात के नाम पर इस देश को इस समाज को बांटने का काम करते हैं।